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किशन बोथे

Kisan Bothey

Wednesday, May 1, 2019, 07:22 AM
Jindadili

जिंदगी तो सभी जीते है, परन्तु जिंदगी जिन्दादिली का नाम है, उसी तरह पुरुषार्थ। पुरुषार्थी वह कहलाया है जो विपरीत परिस्थितियों में अपने कठिन कर्म से विमुख होने के बजाए अंजाम तक पहुँचाने का बीड़ा उठाकर उसे शिरोधार्य करे। इस देश में शूद्र समाज को हिकारत की निगाह से देखा जाता रहा है। उनकी स्थिति गुलामों से भी बदतर थी। उनकी स्थिति  पशुओं से बदतर थी। ऐसे में बाबा साहब डा. अम्बेडकर का प्रदुभार्व होना शूद्रों की जंजीरों से मुक्ति का एक सिलसिलेवार अहिंसक पैगाम था। जो उनके जीवन पर्यन्त अथक चलता रहा। उनका समाज को सन्देश है कि जीना है तो स्वाभिमान से जियो बुजदिल बनकर नहीं। स्वाभिमान से जी हुई कुछ पल की जिंदगी सौ वर्षों के अपमान की जिंदगी से कही बेहतर है।
- किशन बोथे

 





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