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अमरदास का लंगर और अकबर

Sumedh Ramteke

Saturday, May 4, 2019, 07:56 AM
Langar

अमरदास का लंगर और अकबर
    सिख संप्रदाय के तीसरे गुरू अमरदास ने अपने शिष्यों को सामूहिक लंगर में भोजन कराने की प्रथा का सूत्रपात किया था। उन दिनों समाज में ऊंच-नीच की भावना विकराल रूप से धारण कर चुुकी थी, लेकिन गुरू अमरदास लोगों में भेदभाव की भावना को मिटाना चाहते थे। उन दिनों देश पर अकबर बादशाह का शासन था। धार्मिक सहिष्णुता और सद्भाव के लिए अकबर के नाम की भी खूब चर्चा होती थी। गुरू अमरदास के प्रयास की चर्चा उनके मानों तक पहुंची, तो वे अमरदास से मिलने के लिए निकल पड़े। उन्होंने अमरदास को खबर भिजवाई कि बादशाह अकबर आपके दर्शन करना चाहता है। उत्तर में गुरू अमरदास ने कहलवाया कि यहां तो सब समान हैं, एक ही प्रकृति के पुत्र हैं, भाई हैं। तो फिर भाइयों में मतभेद कैसा ? हां, शहंशाह और व्यक्ति में जरूर फर्क होता है। अगर अकबर को बादशाह होने का अहंकार है, तो वे न आएं। अकबर ने वैसा ही किया, तो गुरू अमरदास ने कहा - शिष्य तभी बना जा सकता है, जब मन में श्रद्धा, अनुशासन और नम्रता का भाव हो।
- सुमेध रामटेके





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