धन का अभिमान Sumedh Ramteke Saturday, May 4, 2019, 08:51 AM धन का अभिमान यूनान में आल्सिबाएदीस नामक एक बहुत बड़ा संपन्न जमींदार था। उसकी जमींदारी बहुत बड़ी थी। उसे अपने धन-वैभव एवं जागीर पर बहुत अधिक गर्व था। वह इसका वर्णन करते हुए थकता नहीं था। एक दिन वह प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात के पास जा पहुंचा और अपने ऐश्वर्य का वर्णन करने लगा। सुकरात उसकी बाते कुछ देर तक सुनते रहे। फिर उन्होनें पृथ्वी का एक नक्शा मंगवाया। नक्शा फैला कर उन्होनें आल्सिबएदिस से पूछा- अपना यूनान देश इस नक्शे में कहां है? जमींदार कुछ देर तक नक्शा देखने के बाद एक जगह अंगुली रख कर बोला- अपना यूनान देश यह रहा। सुकरात ने पुनः पूछा- और अपना एटिका राज्य कहां है? बड़ी कठिनाई के बाद जमींदार एटिका राज्य को ढूंढ सका। अच्छा, इसमें आपकी जागीर की भूमि कहां है? सुकरात ने एक बार फिर पूछा। अब जमींदार कुछ सकपका गया। वह बोला- आप भी खूब है, इस नक्शे में इतनी छोटी-सी जागीर कैसे बताई जा सकती है? तब सुकरात ने कहा- भाई! इतने बड़े नक्शे में जिस भूमि के लिए एक बिन्दु भी नहीं रखा जा सकता उस नन्ही-सी भूमि पर आप गर्व करते है, इस पूरे ब्रम्हाण्ड में आपकी भूमि और आप कहां कितने है, जरा यह भी तो सोचिये। सुकरात के मुंह से यह सुनते ही आल्सिबएदिस का अपनी जागीर और संपत्ति पर जो गर्व था चकनाचूर हो गया। व्यक्ति को अपनी धन-संपदा का बखान तथा उस पर गर्व नहीं करना चाहिए। - सुमेध रामटेके Tags : describing tired proud Alibaides landowner affluent Greece