साइंटिफिक असिस्टेंट के पद के लिए अर्जियां Sumedh Ramteke Saturday, May 4, 2019, 07:29 AM साइंटिफिक असिस्टेंट के पद के लिए अर्जियां बेंगलुरू में 1949 में सर सीवी रमन ने रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित किया। यहां साइंटिफिक असिस्टेंट के पद के लिए कई लोगों की अर्जियां आईं। कई लोगों ने इंटरव्यू दिए। यह प्रक्रिया खत्म हुई तो रमन ने देखा कि एक आदमी अब भी इंटरव्यू रूम के बाहर इंतजार कर रहा है। उसका इंटरव्यू हो चुका था। और उसे पद के योग्य नहीं पाया गया था। फिर भी वह डटा हुआ था। रमन उसके पास गए। रौबदार आवाज में बोले, ‘आप यहां क्या कर रहे हैं? हम आपसे कह चुके हैं कि आपको हम अपनी टीम में शामिल नहीं कर सकते। फिर आप क्यों यहां अपना समय खराब कर रहे है?’ उस आदमी ने जवाब दिया, ‘सर मैं जानता हूं कि मेरा सिलेक्शन नहीं हो सकता। इसीलिए मैं यहां आपके संस्थान की ओर से मुझे दिया गया यात्रा खर्च लौटाने आया हूं।’ रमन के अचरज का ठिकाना नहीं था। उन्होंने उस युवक के कंधे पर हाथ रखा। उसे अपने ऑफिस में ले गए। दो मिनट सन्नाटा छाया रहा। फिर रमन उस युवक से बोले, ‘तुम्हारा सिलेक्शन हो चुका है।’ वे आगे बोले, ‘मेरे लिए यह मायने नहीं रखता कि तुम्हारी फिजिक्स कमजोर है। वह तो मैं तुम्हें सिखा दूंगा। मेरे लिए यह ज्यादा मायने रखता है कि तुम एक चरित्रवान व्यक्ति हो।’ फंडा यह है कि लोगों को अक्सर उनकी योग्यता से जाना जाता है। लेकिन योग्यता से ज्यादा बड़ा गुण चरित्र है। हमें हमारे चरित्र से बड़ी पहचान मिलती है। - सुमेध रामटेके Tags : institute travel expenses return selection time spoiling team