राष्ट्रभक्ति का रूप है कर्तव्यनिष्ठा Sumedh Ramteke Friday, May 3, 2019, 05:10 PM राष्ट्रभक्ति का रूप है कर्तव्यनिष्ठा यह घटना जापान में कई वर्षों पूर्व घटी थी। एक जहाज जापानी बंदरगाह पर आया। उसे देखकर जापानी तट पर अधिकारी यात्रियों के सामान की जांच करने आए। चूंकि यह उनकी नियमित प्रक्रिया का हिस्सा होता है, अतः वे तेजी से यात्रियों के ट्रंक, सूटकेस, टोकरियों व अन्य सामान की सूक्ष्मता से तलाषी लेने लगे। यदि यात्री कहता कि इसमें कस्टम का माल नहीं है तो वे उसके कथन की परख कर उसे ससम्मान आगे जाने के लिए कह देते। यदि किसी का सामान कस्टम के अंतर्गत आता तो नियमानुसार उससे राशि लेकर उसे जाने देते। इसी दौरान इन जापानी अधिकारियों के पास किसी अन्य देश का एक व्यापारी आया। उसने कहा, ‘मेरे पास फलों की कुछ टोकरियां हैं। इन्हें मैं आपके अधिकारियों, मंत्रियों और व्यापारियो को भेंट करना चाहता हूँ।’ उसकी बात सुनकर जापानी अधिकारियों ने पूछा, ‘इन टोकरियों में कौन से फल हैं और आप इन्हें किस रूप में व क्यों भेंट करना चाहते हैं ?’ व्यापारी ने हंसकर कहा, ‘इसमें अत्यंत रसीले आम हैं, जिन्हें खाकर जापानी अधिकारी, मंत्री व व्यापारी बहुत आनंदित होंगे। मैं अपनी ओर से उपहार के रूप में इन्हें भेंट कर रहा हूँ। आप लोग भी खाकर देखिए।’ जापानी अधिकारी समझ गए कि व्यापारी फलों के रूप में रिश्वत देना चाहता है। अतः वे लोग बोले, ‘क्षमा कीजिए। हमें ऐसे फल नहीं चाहिए जो हमारे देश के लोगों को अपने कर्तव्य से डिगा सकें।‘ यह कहकर उन्होंने फलों की टोकरियां समुद्र में फिकवा दीं। कर्तव्यनिष्ठा, राष्ट्रभक्ति का ही एक रूप है जो संबंधित देशवासियों की नैतिक उच्चता को दर्शाता है। इसी से राष्ट्र की शीघ्र उन्नति के द्वार खुलते हैं। - सुमेध रामटेके Tags : statement baskets suitcases quickly process routine luggage officials Japanese Japan