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मेरे आने से भूत प्रेत भाग जायेगें

Nilesh Vaidh
nileshvaidh149@gmail.com
Tuesday, April 30, 2019, 10:24 PM
Kothi

मेरे आने से भूत प्रेत भाग जायेगें
बाबा साहेब ने केँद्रीय सरकार मे श्रम मँत्री के पद को संभाला। उनके रहने के लिए विशाल भवन की तलाश होने लगी। वे ऐसी कोठी की तलाश में थे जिसमे विशाल कमरे हो और आसपास चारों और बगीचे के लिए खुला मैदान हो। उन्होने कई कोठियों का मुआयना किया। अंत में 22 पृथ्वीराज रोड़ वाली कोठी को पसंद किया। यह कोठी बहुत ही बुरी अवस्था मे थी । एक तरह खंडहर में तब्दील हो चुकी थी। लेकिन इसके कमरे काफी लम्बे चैड़े थे। सामने एक भव्य दालान था । इस कोठी के चैकीदार ने बताया कि इसमें भूत प्रेत वास करते हैँ। भारतीय अधिकारी या मंत्रियों की बात तो दूर इसमे तो अंग्रेज भी वास करने से घबराते थे भयानक भूतों की वारदातों ने सबको बेचैन किया हुआ था। बाबा साहेब को यही कोठी पसंद आ गई। बाबा साहेब ने अपने विशाल पुस्तकालय को रखने का विचार किया। उनको सभी संबंधित नजदीकी मित्रों ने चेताया कि इस भूतबंगले को न खरीदें। बाबा निश्चय कर चुके थे। उन्होने कहा कि, ‘‘वे तो सदा भूत प्रेतों से संघर्ष करते आए हैँ । हिंदू धर्म मे जाति पाति की भावना भूत प्रेत ही तो है। वे उससे लडते आ रहे हैँ तब इस कोठी मे रहने वाले भूत प्रेत भी उनके वास करने पर भाग जाऐँगे।’’ इसके बाद सभी संबंधित अधिकारीगण उस कोठी की मरम्मत और साफ सफाई मे जुट गए। ऐसा होते ही कोठी की शोभा बढ़ गई। सभी कमरोें में बाबा साहेब ने अपनी पुस्तकोे को व्यवस्थित रुप से सजाया। उनके हाल मे सबसे बड़ी लायब्रेरी थी । 18 अलमारियोँ मे विभिन्न विषयोँ की उच्चस्तरीय पुस्तकेँ सुसज्जित थी ।कोठी के चारोँ ओर पेड़ पौधे और विभिन्न प्रकार के फूलोँ के पौधोँ को लगाने के सुझाव देते थे । जिस कोठी को कहा जाता था कि उसमे भूत प्रेत वास करते हैँ, उसी कोठी मे अछूतोँ के बेताज बादशाह रह रहे थे। इस कोठी मे बाबा साहेब तीन साल ग्यारह माह और नौ दिन यानि 30जून 1946 तक रहे। यहाँ रहकर बाबा साहेब ने बहुत से महान कार्य किए । कई प्रसिद्ध पुस्तकेँ लिख दी। बाबा भूत प्रेत, नक्षत्र भविषयवाणी को कोरा ढोँग कहते थे जो स्वार्थी लोग अज्ञानी लोगोँ को उल्लू बनाने मे करते है। उनका इन चीजोँ पर विश्वास नही था। वे तर्क की कसौटी पर हर को बात परखते थे।

- संग्रहक - निलेश वैद्य





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