पश्चाताप से सुधरा छात्र का जीवन Sumedh Ramteke Friday, May 3, 2019, 04:12 PM पश्चाताप से सुधरा छात्र का जीवन किसी विद्यालय की घटना है। विज्ञान के छात्रों को प्रतिदिन प्रयोगशाला में प्रयोग करने होते थे। कुछ छात्रों को घर पर भी इन प्रयोगों को दोहराना अच्छा लगता था। ऐसे छात्रों की इच्छा रहती थी कि विद्यालय की प्रयोगशाला से उन्हें प्रयोग की सामग्री दी जाए, किंतु प्राचार्य सख्त थे, इसलिए उन्हें कोई सामग्री नहीं दी जाती थी। एक दिन एक छात्र रसायन की प्रयोगशाला में किसी रसायन की एक शीशी चुराकर घर ले गया। विद्यालय में खोजबीन हुई, किंतु पकड़ा नहीं गया। एक माह बाद एक छात्र प्राचार्य के पास आया और वह शीशी उनके सामने मेज पर रख दी। प्राचार्य ने प्रश्न सूचक मुद्रा में उसे देखा, तो उसने अपने द्वारा की गई चोरी के बारे में सब कुछ बता दिया। प्राचार्य ने उससे प्रश्न किया- ‘यदि तुम्हें इसकी जरूरत थी तो अब तक इसका प्रयोग क्यों नहीं किया? छात्र बोला- मैं जब भी इसे इस्तेमाल करने की सोचता, मेरी रूह कांप जाती। मुझे लगता कि मैंने चोरी कर बहुत बुरा काम किया है। इसलिए मैं इसे निकालता और फिर वापस रख देता। अंततः मेरे मन ने मुझे इसे वापस करने के लिए विवश कर दिया। यह सुनकर प्राचार्य ने कहा- इसे तुम मेरे पास क्यों लाए? तुम इसे चुपचाप वहीं रख सकते थे, जहां से इसे चुराया था। इस पर छात्र तत्काल बोल उठा - सर! यह तो एक बार फिर चोरी करना होता। उसके जवाब पर प्राचार्य ने खुश होकर उसे अपनी कक्षा में जाने को कहा, लेकिन उसने अपने लिए सजा की मांग की। तब प्राचार्य बोले - तुम एक माह तक पश्चाताप की अग्नि में जलते रहे, यही तुम्हारी सजा थी। अब जाओ और पढ़ाई में ध्यान लगाओ। वस्तुतः पश्चाताप से पाप का बोझ हल्का हो जाता है और भविष्य के लिए सही राह खुल जाती है। - सुमेध रामटेके Tags : caught strict principals given laboratory school material