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शोषितो को झूठी पत्तलो पर लौटना

Siddharth Bagde
tpsg2011@gmail.com
Saturday, April 20, 2019, 10:08 PM
Juthi pattal par lotna

शोषितो को झूठी पत्तलो पर लौटना
अत्याचार की कई शोषित कहानियां आपने सुनी होंगी, उनमें से ज्यादातर परंपरा के नाम पर हो रहे अत्याचार होंगे। लेकिन ये तस्वीर देखकर यकीन करना मुश्किल है कि ये 21वीं सदी की तस्वीर है। कर्नाटक के मशहूर कुक्के श्री सुब्रमण्या मंदिर में ये सदियों पुरानी परंपरा है 400 साल पुरानी मधे स्नाना नाम की इस पंरपरा के नाम पर शोषितों को जमीन पर पड़ी खाने की जूठी पत्तलों पर लोट लगाने को कहा जाता है। दरअसल, इस मंदिर में पहले ब्राह्मणों  को केले के पत्ते पर खाना खिलाया जाता है, उसके बाद उनकी जूठी पत्तलों पर शोषित लोट लगाते हैं। जिस मकसद के लिए इस परंपरा को परवान चढ़ाया जाता है, उसे सुनेंगे तो आप हैरान रह जाएंगे। ये इसलिए होता है ताकि शोषितों के त्वचा के रोग ठीक हो जाएं। ये उस मंदिर का हाल है जहां क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर माथा टेक चुके हैं। आस्था के इस मंदिर में बाॅलीवुड स्टार ऐश्वर्या राय बच्चन भी हाजिरी लगाती हैं और तो और खुद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा इस मंदिर में विराजमान नागों के स्वामी भगवान सुब्रमण्या से आशीर्वाद लेने यहां आते हैं। दक्षिण भारत में परंपरा के नाम पर अंधविश्वास की आड़ में इसी तरह का व्यवहार शोषित समुदाय के साथ हो रहा है। सदियों से चली आ रही इस परंपरा के खिलाफ अब शोषित समाज ने आवाज उठाई है। पिछले साल इस परंपरा को बंद करने की मांग उठी थी। बावजूद इसके शोषितों का अपमान करने वाली यह परंपरा जारी है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या ऐसी परंपरा हमारे समाज को शर्मसार नहीं करती ? वहीं मंदिर प्रशासन का कहना है कि इस परंपरा में कुछ भी गलत नहीं है और ना ही इसमें शामिल लोगों को जूठी पत्तलों पर लोट लगाने के लिए मजबूर किया जाता है।
बंद हो शोषितों के जूठे पत्तलों पर लोटना - मायावती
उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने कर्नाटक में आस्था के नाम पर किए जा रहे शर्मनाक कृत्य को बंद करने की मांग की है, उन्होंने कहा कि आस्था के नाम पर शोषितों के जूठे पत्तलों पर लोटना बेहद शर्मनाक है और इसे तत्काल बंद कर देना चाहिए। बता दें कि कर्नाटक में चर्म रोगों के उपचार के नाम पर शोषित जूठे पत्तलों पर लोटते हैं, उनका मानना है कि ऐसा करने से उनके रोग दूर हो जाएंगे। मुख्यमंत्री मायावती ने कहा इस प्रथा के अंतर्गत शोषितों का जूठे पत्तलों पर लोटना बेहद अमानवीय और अपमानजनक है और इस प्रथा पर कर्नाटक सरकार को तुरंत प्रतिबंध लगा देना चाहिए। मुख्यमंत्री मायावती ने यह भी कहा कि संविधान में सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्राप्त हैं और कर्नाटक में जारी यह प्रथा उन अधिकारों के विपरीत है और इलाज के बहाने जातिवादी मानसिकता में जकड़ी हुयी है। उन्होंने बताया कि उसमें भी ज्यादा निंदनीय बात तो यह है कि मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सहित देश के किसी भी आयोग या वर्ग ने इस शर्मनाक प्रथा के खिलाफ कोई आवाज बुलंद नहीं की। मायावती ने जारी अपने एक बयान में यह भी कहा कि जब उन्होंने एक समाचार चैनल पर इस तरह की खबर देखी थी तो वह बहुत आहत हुयी थी और देश में सबसे पहले इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई थी परंतु कर्नाटक सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और मंगलवार को दक्षिण कन्नड़ जिले में बैंगलूर से लगभग 115 किलोमीटर दूर एक मंदिर में यह प्रथा दोबारा दोहरायी गयी। उन्होंने बताया कि तब से लेकर अब तक किसी ने भी इस शर्मनाक प्रथा को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की।
- सिद्धार्थ बागड़े





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