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वंचित बहुजन आघाड़ी  बाबासाहब के सपनों का भारत

Ajay Narnavre

Sunday, August 8, 2021, 11:43 AM
Vanchit

बहुजन समाज पार्टी द्वारा अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन से संबंधित एक पोस्टर व्हाट्सएप पर वायरल हो रहा है।  जिसमें ब्राह्मणों के आराध्य देव  राम  के साथ कई  ब्राह्मण नेताओं के  भी फोटो भी छपे है। इस पोस्टर में मायावती को छोड़कर बहुजन समाज के किसी भी महापुरुष का फोटो नहीं छपा है। यहां तक की भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहब डॉ आंबेडकर का फोटो भी सिरे से नदारत है। जिनकी विचारधारा पर राजनीति करने का दावा यह पार्टी करती है। पोस्टर में बाबासाहब आंबेडकर की विचारधारा दूर- दूर तक भी दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में पूरा बहुजन समाज अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। लोग सोच रहे हैं कि आखिर हम करें तो करें क्या ? उन्हें कोई विकल्प दिखाई नहीं दे रहा है। बहुजन समाज में तमाम छोटे-बड़े राजनीतिक दल बन गए हैं जो अपनी-अपनी ढपली और अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। किन्तु कोई भी दल बाबासाहब की विचारधारा को आगे ले जाने में सक्षम दिखाई नहीं दे रहा है। बाबासाहब डॉ आंबेडकर की विचारधारा का ढिढोरा पीट कर ये लोग समाज में लोकप्रियता तो हासिल कर लेते हैं और अपनी पहचान भी स्थापित कर लेते हैं लेकिन अवसर मिलने पर ये ब्राह्मणवादी ताक़तों के हाथों में कठपुतली की तरह खेलने लगते हैं। टोकने पर ये लोग कहते हैं कि "राजनीति में सब जायज है।" यदि राजनीति में सब जायज़ है तो फिर रामदास आठवले में क्या बुराई है ? इन भैंस के फूफाओं को यह पता ही नहीं होता है कि अंबेडकरवादी राजनीति केवल राजनीति ही नहीं है बल्कि एक मिशन  भी है। बाबासाहब आंबेडकर भी राजनीति करते थे किंतु उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। यदि वे अपने सिद्धांतों को तिलांजलि दे कर राजनीति करते तो वे इस देश के प्रधानमंत्री भी बन सकते थे। उन्होंने एक बार कहा था कि- यदि मैं दो पैसे का पोस्ट कार्ड लिख कर पण्डित जवाहरलाल नेहरू के पास भेज दूँ तो मैं इंडियन नेशनल कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता हूँ। लेकिन उन्होंने तो अपने सिद्धांतों की रक्षा के लिए कानूनमंत्री जैसे पद से त्यागपत्र भी दे दिया था।
हमें याद रखना होगा कि हम जो राजनीति कर रहे हैं वह केवल राजनीति नहीं है बल्कि एक मिशन भी है। इस मिशन को मंजिल तक पहुंचाने के लिए हमें न जाने कितने बलिदान देने होंगे। सत्ता का उतावलापन त्यागना होगा। सत्ता सभी समस्याओं की चाबी जरूर है किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि अपने सिद्धांतों की बलि दे कर ऐसी सत्ता प्राप्त कर लें जिसकी चाबी किसी दूसरे के हाथों में हो।
बाबासाहब आंबेडकर ने कहा था कि- भारत का इतिहास ब्राह्मणों और बौद्धों के परस्पर संघर्ष का इतिहास है। इसके अलावा और कुछ नहीं है। अर्थात जिनके साथ हमारा सदियों से संघर्ष चला आ रहा है, उन्हीं के साथ मिलकर सत्ता प्राप्त करना, सत्ता से बेदखल होने के बराबर है। क्या कभी केर औऱ बेर का साथ निभ सकता है ? क्या शेर और बकरी की दोस्ती कभी सफल हो सकती है ? क्या चूहे और बिल्ली एक साथ रह सकते हैं ? यदि घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या ?
अयोध्या में  राम का भव्य मंदिर बनाकर बहिन जी बहुजन समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं ? बहुजन समाज पार्टी के मंच पर जय श्री राम के नारों का क्या अर्थ है ? इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही मतलब है कि बहिन मायावती सतीश मिश्रा के इशारों पर थिरक रही हैं। उनका यह ताल से बेताल नाचना उन पर लगे ताज कॉरिडोर की जाँच से बचने का प्रयास मात्र है। अब यह बात पूरी तरह लोगों की समझ में आ चुकी है कि बसपा अपने सिद्धांतों से भटक गई है। अब शोषित वंचित समाज के सामने सिर्फ एक ही विकल्प है कि वह बाबासाहब आंबेडकर के पौत्र, उनकी विरासत के असली हकदार, परम आदरणीय बालासाहब एड. प्रकाश आंबेडकर  जी के द्वारा स्थापित वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ जुड़ कर बाबासाहब के मिशन को आगे ले जाने में अपना अमूल्य योगदान प्रदान करें । आदरणीय बालासाहब एड. प्रकाश आंबेडकर जी के अंदर बाबासाहब का खून है, वे एक ईमानदार और बेदाग़ छवि वाले स्वाभिमानी नेता हैं। वे न तो कभी बिके और न ही झुके। गद्दारी उनके खून में नहीं है। वे समाज को कभी धोखा नहीं दे सकते हैं, उनकी वंचित बहुजन आघाड़ी  ही बाबासाहब के सपनों का भारत बनाएगी।
 डी सी मौर्य
प्रदेश उपाध्यक्ष
वंचित बहुजन आघाड़ी
मध्यप्रदेश
मोबाइल नंबर - 7470903812





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