धर्म और धम्म में अंतर Siddharth Bagde tpsg2011@gmail.com Sunday, April 14, 2019, 06:39 AM धर्म और धम्म में अंतर जैसे की तीनों धर्मो में ईश्वर की संकल्पना विद्यमान है वैसे ही शैतान, भुत, पिशाच की संकल्पनाए भी विद्यमान है। बुद्ध ने इस तरह की किसी संकल्पना को अपने उपदेश में स्थान नहीं दिया। तीनों धर्म में आत्मा की संकल्पना नजर आती है। बुद्ध ने आत्मा के अस्तित्व पर विश्वास को सम्यक दृष्टी के मार्ग की अड़चन बताया और आत्मा पर विश्वास करना अधम्म बताया। तीनों धर्मो के संस्थापक स्वयं को मोक्षदाता घोषित करते है मतलब ईश्वर के अस्तित्व को मान्यता और हमारा ईश्वर के साथ का नाता न मानने पर आप मोक्ष ( मृत्यु उपरांत स्वर्ग में जाना) प्राप्त नहीं कर सकते ऐसा घोषित कर देते है और स्वयं को एक ईश्वर का चमत्कार कहते है। पर बुद्द चमत्कार को विरोध करते है। बुद्ध ने कभी भी कही भी ऐसा कथन नहीं किया की मैं मोक्षदाता हूं। उन्होने ‘‘स्वर्ग और नर्क की कल्पना को मृत्यु उपरांत ना मानते हुए अपने कर्म से उस अवस्था को जीवित रहते हुए आप प्राप्त करते हो’’ ऐसे कहा। ‘‘मैं मोक्षदाता नहीं मार्गदर्शक हू’’ ऐसे कहा। कर्म का सिद्धांत देते हुए हर व्यक्ति को अपने कर्म के अनुसार फल मिलने का आश्वासन दिया और मोक्ष की कल्पना को छोड़ निर्वाण नामक अवस्था का कथन किया जो की हर व्यक्ति अपने ही जीवन में जीवित रहते हुए प्राप्त कर सकता है। मृत्यु के पहले या मृत्यु के उपरांत आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा ऐसी मान्यता उसके धम्म ने दी। ऊपरी धर्मो की कुछ विशिष्ट किताब है और उन्हें ईश्वर की देंन समझा जाता है या फिर ईश्वर के किसी नाते के व्यक्ति ने लिखी हुई समझा जाता है। बुद्ध ने किसी भी धार्मिक ग्रन्थ पर विश्वास रखना इस बात को तिलांजलि देते हुए कलाम लोगो को उपदेश किया ‘‘आपको अनुभव पर यदि कल्याणकारी बात नजर आये या उस क्षेत्र के ज्ञानी लोगो के अनुसार वे कल्यानकारी बात है ऐसा नजर आये तो ही स्वीकार करो’’ तीनों धर्मो में उनकी किताबो में जो बाते लिखी है उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता और इन धर्मो के संस्थापक ने जो कह दिया वह अंतिम सत्य कहा गया। बुद्ध ने ऐसा कोई दावा न करते हुए मानव को अपने बुद्धि से विचार करने की स्वतंत्रता प्रदान की और यही नहीं तो धम्म को कालानुरूप बदलने की स्वतंत्रता प्रदान की। ऐसी स्वतंत्रता दुनिया में कोई भी धर्म अपने अनुयायी को नहीं दे सका। इतना विश्वास किसी भी धर्म ने अपने अनुयायी पर कभी भी कही भी नहीं दिखाया है। प्रत्येक धर्म के संस्थापक ने अपना विशेष ऐसा स्थान निर्माण कर लिया। बुद्ध ने कभी भी अपने स्वयं के लिए ऐसा विशेष स्थान का कोई हेतु नहीं रखा। बुद्ध ने अपने व्यक्तिगत जीवन को कभी भी महत्व नहीं दिया। किसी भी धर्म संस्थापक के करीब तक आप नहीं पहुच सकते। पर बुद्ध यह एक पद है और वहा तक कोई भी व्यक्ति अपने प्रयत्न से पहुच सकता है। बुद्ध ने स्वयं को चुनौती देने को अपने अनुयायी को हमेशा से ही प्रेरित किया। ऐसा करने वाला वो दुनिया का एकमात्र धर्म संस्थापक है। जिस समय बुद्ध का महापरिनिर्वाण हो रहा था तो अंतिम शब्दों में वे कहते है ‘‘हे भिक्षुओ! अगर किसी भी प्रकार की शंका आपके मन में धम्म के प्रति हो तो कृपया कहो, कही ऐसा न हो की मेरे महापरिनिर्वाण के बाद आपके मन में विचार आये की हमारा शास्ता जब यहाँ मौजूद था उस वक्त हमने उससे हमारी शंका कथन नहीं की।’’ अपने जीवन की आखरी घडी में भी बुद्ध अपने अनुयायी को शंका पूछने के लिए उकसाते है। ऐसा करने वाला वो दुनिया का एकमात्र धर्म संस्थापक है। ख्रिश्चन, मुस्लिम, हिंदू इन जैसे धर्मो ने अपने धर्म के गुरु निर्माण करते हुए, उनके आदेशानुसार चलने पर लोगो को विवश कर दिया पर बुद्ध ने अपने संघ का निर्माण धम्म के आदेशो पर चलने वाला लोकसमुदाय है और वह जैसा बोलता है वैसा चलता है इस उदहारण के लिए किया। मुस्लिम और हिंदू इन दोनों धर्मो ने तो बलि प्रथा को बड़ा ही पवित्र माना पर बुद्ध ने किसी भी प्राणी की हत्या करने पर अपने धम्म में आने वाले को पहले ही पंचशील में वैसा शील रखकर प्रतिबन्ध लगाना चाहा। बुद्ध ने चार्वाक का तर्क स्वीकार किया। चार्वाक कहते है ‘‘बलि दिए जाने वाले को यदि स्वर्ग की प्राप्ति होती है तो आप लोगो ने अपने स्वयं के पिता की बलि देनी चाहिए।’’ बुद्ध कहते है, ‘‘बलि के प्राणी के जगह मेरे प्राणों की आहुति देने पर आपको ज्यादा पुण्य प्राप्त हो सकता है’’ ऐसा राजा से कहने वाला बुद्ध एकमात्र धर्म संस्थापक है। मुस्लिम और हिंदू धर्म में स्त्रियों को बड़ा ही निचला दर्जा प्रदान किया गया है (उदाहरण देना मुझे जरुरी नहीं लगता )। ‘‘स्त्री वर्ग को धम्म का भिक्षु पद देकर स्त्री को समानता का दर्जा देने वाला बुद्ध सबसे पहला धर्म संस्थापक है। बुद्ध अपने उपदेश में कहते है ‘‘स्त्री पुरुष से महान होती है क्योकि वो चक्रवर्ती सम्राट को जन्म देती है।’’ - टीपीएसजी Tags : infinite obstruction Buddha vampire ghost devil religions God concept