imagesimagesimagesimages
Home >> सम्पादकीय >> सच्चा इतिहास लिखना होगा

सच्चा इतिहास लिखना होगा

Siddharth Bagde
tpsg2011@gmail.com
Tuesday, April 2, 2019, 10:43 PM
Saccha Itihas

भारत के बहुजनवासी लोगो को अपना सच्चा इतिहास लिखना ही चाहिये वर्तमान में बहुजनवासियों के तहस नहस के पुख्ता प्रमाण मिल रहे है। ‘‘बाबासाहेब ने कहा है, जो समाज अपना इतिहास नहीं जानता वह समाज समाप्त हो जाता है।’’
समाज में अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिये व्यक्ति को अपना इतिहास बनाना ही पड़ता है, उसी प्रकार एक मनुष्य को अपने सामाजिक अस्तित्व के साथ विश्व के सामने अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए अपना इतिहास होना भी उतना ही आवश्यक है। वर्तमान इतिहास ब्राह्मण जाति के लेखकों द्वारा लिखा गया है, जिन्होने बहुजनवासियों, पिछडीजातियों के समाज के इतिहास पर कालिख पोत दी है। ये बिकने वाली किताबे जिसे दूनियां पढ़ रही है, ये सच्चा इतिहास नहीं है। जो प्रमाण बहुजनवासियों के हश्र के मिल रहे है, उससे वर्तमान में ब्राहमण जाति के लोगो द्वारा लिखे इतिहास से सम्बन्ध स्थापित नहीं हो पा रहा है। उसमें तो बहुजनवासियों, पिछडी जातियो के लोग अपना चेहरा ही नहीं पहचान सकते तो वे क्या अपना इतिहास जानेगें। उस इतिहास को पढ़कर तो नई पिछडे जाति के लोग अपने ही प्राचीन कालीन पूर्वजो को राक्षस, अत्याचारी समझ रही है जबकि ब्राह्मणो ने इतिहास ऐसा लिख दिया है जिससे पिछडी जाति के लोग ही पिछड़ी जाति के दुश्मन बनने लगे है। 
संपूर्ण बहुजनवासी नायको को खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया है। क्या हमारे पूर्वज खलनायक थे ? बहुजनवासी नायको इतना अनैतिक, अनुचित, घृणास्पद लिखकर उनको अपमानित किया जा रहा है ? हम कब तक उनको अपमानित करने वाले इतिहास को पढ़कर उनको गालियां देते रहेगें ? यदि हममें तनिक भी चेतना जागी है तो हमारा कर्तव्य बनता है कि सर्वप्रथम हम अपने इतिहास को ढूंढे़ और पुनः उसे सही रूप में लांए।
यदि हमारे पास अपने इतिहास को परखने की पारखी दृष्टि हो तो समय के द्वारा छोड़े गए चिन्हों को पहचानने की कोशिश करें क्योंकि जो व्यक्ति सही रूप से उन चिन्हों को पहचान लेगा, वही इतिहास लिखने की क्षमता रखता है।
मुझे अफसोस उन लोगो पर है कि जिन बहुजनवासी लेखक के हाथ में कलम होते हुए भी वे लोग उसका सही उपयोग नहीं करना चाहते। ये मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि सच्चा इतिहास लिखने का दम भी हर किसी में नहीं होता क्यांेकि इस स्वार्थी दुनियां में स्वार्थ मनुष्य से कुछ भी करवां सकता है।
किसी बहुजनवासी के मन में सच्ची इच्छा जागी तो वहीं व्यक्ति रूढ़ीवादि पक्षपाती धर्मग्रंथों में छिपे हुए अपने इतिहास को सामने लाने के लिए हमें बहुजनवासी पिछड़ी जाति के लिये कलम चला सकेगा।
- सिद्धार्थ बागड़े

 





Tags : Saccha Itihas