बुढ़ापे पर विराम लगाती है आयुर्वेदिक मालिश TPSG Tuesday, June 4, 2019, 07:11 AM आयुर्वेदिक मालिश सभी शारीरिक कष्ट को दूर करती है, विभिन्न गंभीर अपंगताओं को नियंत्रित करत है, उम्र वृद्धि की प्रक्रिया को धीमा करती है और बेकार पड़े हुए ऊतकों की मरम्मत कर शरीर तथा मन को असीमित शक्तियां प्रदान करती है। यह स्मरण-शक्ति भी बढ़ाती है। आयुर्वेदिक मालिश तकनीक विश्राम प्रदान करती है, परिसंचरण तथा जीवविषों का निष्कासन करती है विवाह के पूर्व मालिश करना हिन्दू परंपरा के कुछ समारोहों में से एक है जो आज भी अनिवार्य है, ताकि दूल्हा एवं दुल्हन विवाह के दिन विशेष रूप से सुन्दर दिख सकें। पिझिचिल एक आरामदेह, शमक एवं पुनः यौवन प्रदान करने वाला उपचार है, जिसमें औषधियुक्त नर्स तेल संपूर्ण शरीर (सिर एवं गर्दन को छोड़कर) पर एक निश्चित समय के लिए निरंतर धार के रूप में उड़ेला जाता है। इसका प्रयोग संधिशोध, उम्र वृद्धि, सामान्य कमजोरी, पक्षाघात का प्रभावपूर्ण ढंग से उपचार करने के लिए किया जाता है। ‘पिझिचिल’ एवं ‘सर्वांगधारा’ तकनीकी रूप से समान है। नजवराकीझी सभी प्रकार के वात रोगों, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों के अपक्षय, त्वचा विकार, चोट एवं अभिघात के स्वास्थ्य लाभ की अवधि, गठिया, आम कमजोरी, लकवा आदि के लिए यह चिकित्सा है। औषधियुक्त तेल के प्रयोग के बाद, औषधियुक्त दूध-दलिया के पुलिंदे के प्रयोग के द्वारा आपके संपूर्ण शरीर की पूर्ण मालिश कर पसीना निकाला जाता है। शिरोधारा यह एक अनोखा उपचार है, जहां एक निश्चित अवधि के लिए सिर को विशिष्ट औषधियुक्त तेलों की नियमित धार में स्नान कराया जाता है। यह मानसिक आराम के लिए एक प्रभावकारी चिकित्सा है। यह अनिद्रा, तनाव, विषाद, घटती हुई मानसिक चुस्ती आदि को ठीक करता है। जब औषधियुक्त छाछ तेल का स्थान लेती है तो इस चिकित्सा को तक्रधारा कहा जाता है। शिरोवस्ती इस उपचार के पूर्व तेल डालने (स्नेहन) एवं पसीना निकालने (स्वेदन) की क्रिया होती है। छह से आठ फीट लंबा चमड़े का आस्तीन मरीज के सिर पर रखा जाता है और इसे सही स्थान पर रखने के लिए माथे के चारों तरफ एक पट्टी बांधी जाती है। तेल आस्तीन में उड़ेला जाता है और सिर पर कुछ पल रहने दिया जाता है। सामान्य रूप से वात विकार से उत्पन्न बीमारियों के लिए यह पचास मिनट तक होता है। यह उपचार आंशिक पक्षाघात, मोतियाबिंद, बहरापन, कान दर्द, अनिद्रा एवं कपालीय शिरा को कष्ट देने वाली अन्य बीमारियों के लिये निर्धारित है। शिरोवस्ती स्मरण शक्ति में क्षीणता, अनाभिविन्यास, ग्लूकोमा एवं शिरानाल सिरदर्दो में अत्यधिक उपयोगी होता है। अभयांगम पुनर्योवन के लिए यह सामान्य चिकित्सा है। जडी-बूटीयुक्त तेल के साथ संपूर्ण शरीर मालिश की जाती है और शरीर के 107 आवश्यक बिन्दुओं (मर्मो) छुआ जाता है। यह बेहतर संचार, मांसपेशीय स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं बेहतर स्वास्थ्य अनुरक्षण में मदद करता है। यह आपकी त्वचा को मजबूत बनाती है एवं आदर्श स्वास्थ्य तथा दीर्घायु प्राप्त करने के लिए सभी ऊतकों को पुनर्योवन प्रदान करती है। यह शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाती है। यह आंखों के लिए भी लाभकारी है। इलाकिझी यह त्वचा में नए प्राण भरने की चिकित्सा है। यह जड़ी-बूटी संबंधी पुलटिस, विभिन्न जड़ी-बुटियों एवं औषधियुक्त चूर्ण से बनती है। इसका प्रयोग जोड़ो के दर्द, मांशपेशी की ऐंठनों, तनाव एवं गठिया को रोकने के लिए होता है। उबटन उबटन एक सौन्दर्य मालिश है। इसका प्रयोग वृद्ध लोगों की मदद करने के लिए भी होता है। युवाओं, माताओं और शिशुओं के लिए विशेष लाभकारी है। बीमारियों का इलाज संधिसो, स्पाॅन्डिलाइटिस कटिशूल, स्लिप्ड डिस्क, कंधे का अबड़ना, तनाव एवं मोच, तंत्रों का दर्द (साइटिका) आदि बीमारियों का इलाज आयुर्वेदिक मालिश से संभव है। आयुर्वेद में इस प्रकार की समस्याओं के उपचार के लिए अनेक फल-सिद्ध प्रक्रियाएं, अर्थात् पिझिचिल, नजवराकिझी, अभयांगम, शिरोधारा, शिरावस्ती, इलाकिझी, उबटन आदि उपलब्ध है। Tags : circulation relaxation provides technique massage Ayurvedic