अष्ठमहास्थान TPSG Friday, June 20, 2025, 03:53 PM बौद्ध धम्म में अष्ट महातीर्थों (अष्ठमहास्थान) का विशेष महत्व है, क्योंकि ये वे स्थल हैं जहाँ भगवान गौतम बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाएँ घटित हुई थीं। ये तीर्थ स्थल न केवल ऐतिहासिक हैं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी बौद्ध अनुयायियों के लिए अत्यंत पूजनीय माने जाते हैं। भगवान बुद्ध का जन्मस्थल लुंबिनी, नेपाल में स्थित है, जहाँ उनके जन्म का स्मारक स्तंभ आज भी दर्शनीय है। बोधगया, बिहार में वह स्थान है जहाँ बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बोधि प्राप्त हुई। सारनाथ वह पुण्यभूमि है जहाँ भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश—धम्मचक्कप्पवत्तन सुत्त—प्रस्तुत किया। कुशीनगर में भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया, जो जीवन के अंतिम चरण को दर्शाता है। इन चार मूल स्थलों के अतिरिक्त चार अन्य तीर्थों का भी विशेष महत्व है। राजगृह में भगवान बुद्ध ने कई वर्षों तक वर्षावास किया और यहीं पहली बौद्ध संगीति आयोजित हुई। श्रावस्ती में उन्होंने सर्वाधिक वर्षा ऋतु व्यतीत की और अनेक धम्म उपदेश किया। वैशाली में उन्होंने अंतिम उपदेश दिया और यहीं भिक्षुणी संघ की स्थापना भी की गई। संकश्या वह स्थान है जहाँ त्रयस्तिंश लोक से पृथ्वी पर अवतरण के पश्चात भगवान बुद्ध ने उपदेश दिया था। इन सभी स्थलों का उल्लेख पालि ग्रंथों—विशेष रूप से महापरिनिब्बान सुत्त (दीघ निकाय) में मिलता है, जहाँ भगवान बुद्ध आनंद से कहते हैं कि उनके निर्वाण के बाद श्रद्धालु इन स्थलों की यात्रा करें। अष्ट महातीर्थों की यात्रा को बौद्ध अनुयायी जीवन में एक बार अवश्य करने योग्य मानते हैं। ये तीर्थ न केवल बौद्ध धम्म की ऐतिहासिक स्मृति हैं, बल्कि आज भी ध्यान, साधना और धर्मोपदेश के केंद्र बने हुए हैं। इन स्थानों की यात्रा से साधक न केवल इतिहास को अनुभव करता है, बल्कि वह स्वयं को धम्म के मूल स्त्रोतों से जोड़ता है। यही कारण है कि विश्व भर के थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान बौद्ध अनुयायी इन स्थलों को गहन श्रद्धा से देखते हैं। प्राचीन विदेशी बौद्ध यात्रियों जैसे फाह्यान, ह्वेनसांग और इत्सिंग ने इन तीर्थों की यात्रा कर अपने ग्रंथों में उनका विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। ह्वेनसांग ने विशेष रूप से बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर की यात्रा की और वहाँ के संघ जीवन, शिक्षा प्रणाली तथा स्थापत्य कला का वर्णन किया। उनके यात्रा वृत्तांत इन तीर्थों की ऐतिहासिक स्थिति का प्रमाण भी हैं और आज के बौद्ध तीर्थाटन का आधार भी। इस प्रकार, अष्ट महातीर्थ न केवल भगवान बुद्ध के जीवन की अमिट छाप हैं, बल्कि वे विश्व भर के बौद्ध समुदाय को एक सूत्र में बाँधने वाले आध्यात्मिक धरोहर भी हैं। इन स्थलों की यात्रा, बौद्ध दर्शन और आचरण की जीवंत अनुभूति का माध्यम बनती है। - राकेश गजभिये Tags : Lord Gautam Buddha Buddhism significance Ashtamahasthan Eight Mahatirthas