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किसान आंदोलन

Sumedh Ramteke

Thursday, December 3, 2020, 02:53 PM
Kishan

किसान आंदोलन

कहते हैं न कुछ सिरफिरे , कि केवल पंजाब-हरियाणा-यू पी के किसान क्यों आए हैं मैदान में ?

नमक हराम मत बनो....याद करो वो कहानी ...

1965 की लड़ाई की. अमेरिका ने भारत से कहा था, पाकिस्तान से समझौता कर लो .....नहीं तो गेहूं बंद कर देंगे...भूखे मरोगे ...(तब गेहूं आयात होता था )...लेकिन प्रधानमंत्री अमेरिका का पिछलग्गू नहीं था ...भारत का वह लाल, बहादुर था...विद्वान् भी था, शास्त्री था.... नहीं माना वह बहादुर. वह शास्त्री....पाकिस्तान को हराकर ही रुका.

और उसके बाद तय किया शास्त्री जी ने कि अमेरिका पर निर्भर नहीं रहना है, खाने के लिए. देश के कृषि वैज्ञानिकों को बोले - कुछ भी करो, अमेरिका की धमकी का ईलाज करो. उन वैज्ञानिकों का मुखिया आज भी गवाह के रूप में जिन्दा है - एम. एस. स्वामीनाथन साहब.

इन लोगों ने मेक्सिको के वैज्ञानिक मित्र से उन्नत बीज लिया ....पर सबसे पहले 'रिस्क' कौन ले इस नए बीज की ?

तब इसी पंजाब-हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आगे आये. बोले - हम शास्त्री जी की बात को पार लगायेंगे.........'जय जवान, जय किसान' का नारा तभी लगा था. बात बन गई और इन्हीं किसानों की बदौलत देश में 'हरित क्रान्ति' हो गई. इतना अनाज इन कर्मवीरों ने पैदा किया कि रखने को जगह नहीं मिली और स्कूलों की छुट्टियाँ करके उनमें माल रखना पड़ा. आज उसी क्रान्ति की बदौलत हम किसी की तरफ खाने के लिए हाथ नहीं फैलाते हैं.

और तभी ये मंडियां और समर्थन मूल्य स्थापित हुए थे. किसानों को उनके नवाचार के लिए गारंटी दी गई थी. जिसको ख़त्म करने के लिए आज उसी अमेरिका के पिछलग्गू तुले हुए हैं. ताकि इस देश का किसान खेती छोड़ दे और बाहर से फिर माल आये.

उफ्फ ! किस मोड़ पर आ गए हैं हम ? अधकचरे लोग किसानों पर 'सवाल' उठा रहे हैं.





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