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गम को खुशियों में बदलना है तो आ जाओ

Siddharth Bagde
tpsg2011@gmail.com
Wednesday, December 30, 2020, 10:08 AM
sea

है समुन्दर में लहरे आंधी और तुफान

रोक सकते हो तो आ जाओ

किनारे पर तो कोई भी खड़े रह सकता है

लहरो से लड़ सकते हो तो आ जाओ ।।

मुझमे छुपी है आग इसलिये भड़क रहा हूं

अगर तुझमे जरा भी छुपी है तो आ जाओ

आना वही है जहां लहरे और तुफान हैं

उसका सामना कर सकते हो तो आ जाओ

तुम पुछते हुये जाते हो पता लोगो का

तुम्हारी खुद की पहचान क्या है

है बनना कि लोग पुछते हुये आये तुम्हारा पता

ऐसा बनकर दिखाना है तो आ जाओ

खुशियां छोड़ दो कायरो के लिये

गमो से लड़ना हो तो आ जाओ

गम में ही इतिहास छुपा है दोस्त

गम को खुशियों में बदलना है तो आ जाओ

कवि - सिद्धार्थ बागड़े

तक्ष प्रज्ञाशील गाथा

कविता - गम को खुशियों में बदलना है तो आ जाओ





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