एक भाषा में अ लिखना चाहता हूँ TPSG Thursday, January 7, 2021, 09:43 PM एक भाषा में अ लिखना चाहता हूँ अ से अनार अ से अमरूद लेकिन लिखने लगता हूँ अ से अनर्थ अ से अत्याचार कोशिश करता हूँ कि क से क़लम या करुणा लिखूँ लेकिन मैं लिखने लगता हूँ क से क्रूरता क से कुटिलता अभी तक ख से खरगोश लिखता आया हूँ लेकिन ख से अब किसी ख़तरे की आहट आने लगी है मैं सोचता था फ से फूल ही लिखा जाता होगा बहुत सारे फूल घरो के बाहर घरों के भीतर मनुष्यों के भीतर लेकिन मैंने देखा तमाम फूल जा रहे थे ज़ालिमों के गले में माला बन कर डाले जाने के लिए कोई मेरा हाथ जकड़ता है और कहता है भ से लिखो भय जो अब हर जगह मौजूद है द दमन का और प पतन का सँकेत है आततायी छीन लेते हैं हमारी पूरी वर्णमाला वे भाषा की हिंसा को बना देते हैं समाज की हिंसा ह को हत्या के लिए सुरक्षित कर दिया गया है हम कितना ही हल और हिरन लिखते रहें वे ह से हत्या लिखते रहते हैं हर समय । - मंगलेश डबराल Tags : written flowers only think