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ब्राह्मण मुस्लिमों से सीख लेते

Vijay boudh

Thursday, January 7, 2021, 09:40 PM

मनुवादी, ब्राह्मण कुछ, मानवता, मुस्लिमों से सीख लेते,,,,,,,,,,,, विजय बौद्ध,,, संपादक, दि बुद्धिस्ट टाइम्स, भोपाल मध्य प्रदेश,,, अयोध्या में विवादित ढांचे पर अपना अधिकार जमाने मनु वादियों ने न्यायालय को मोहरा बनाया। न्यायालय ने बिना साक्ष्य, प्रमाण,, आस्था के आधार पर सरकार के दबाव एवं प्रलोभन में हिंदुओं के पक्ष में राम मंदिर बनाने का फैसला दिया। उस फैसले के आधार पर मनुवादी, ब्राह्मण, अयोध्या में भव्य राम मंदिर बना रहे हैं। वही मुस्लिमों को दी गई 5 एकड़ जमीन में मुसलमान, अपनी मस्जिद के अलावा,, सौर ऊर्जा से चलने वाला  200 बेड वाला ईको फ्रेंडली सुपर स्पेशियल्टी अस्पताल बना रहे हैं। मंदिर बनाने से ब्राह्मणों को दान दक्षिणा धन प्राप्त होगा। लेकिन अस्पताल बनने से लाखों लोगों का इलाज होगा। उनकी जाने बचेगी। मंदिर बनने से किसी का इलाज नहीं किया जा सकता। किसी की जान नहीं बचाई जा सकती। कोरोनावायरस में ब्राह्मणों ने देश के सारे मंदिरों पर ताला लगा दिए थे। देश में लाखों लोग मरे कोई मंदिर, भगवान काम नहीं आया। बल्कि ब्राह्मण पुजारियों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई, तो उन्हें सरकार के सामने हाथ फैलाना पड़ा। आर्थिक सहयोग लेना पड़ा। परंतु भगवान ने उनकी कोई मदद नहीं की। मंदिर एक आस्था हो सकता है। अस्पताल हकीकत है। जब भी कोई व्यक्ति चाहे वह ब्राह्मण ही क्यों ना हो, बीमार पड़ता है। या एक्सीडेंट होता है। तो उसे मंदिर नहीं, अस्पताल पहुंचाया जाता है। डॉक्टर भगवान का रूप है। उन्हें ठीक करते हैं, उनकी जान बचाते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार को और राम मंदिर ट्रस्ट को मंदिर के साथ-साथ मुस्लिमों की तरह 2,000 बेड का  ईको फ्रेंडली सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाना चाहिए था। ताकि इलाज कराने अमेरिका विदेश जाना न पड़े। गरीब व्यक्ति तो, आर्थिक अभाव में इलाज अपने देश में ही नहीं करा सकता। तो विदेश जाने से तो रहा, वह तो यही मर जाता है। परंतु पूंजीपति, धनवान पैसे वाले लोग विदेशी ईलाज कराने जाते हैं। तो गरीबों का ध्यान न रखते अपना तो ध्यान रख लेते। मंदिर बनने से ब्राह्मणों को रोजगार मिलता है। और लोग मंदिर के सामने बैठकर भीख मांगते हैं। इसलिए मंदिर नहीं लोगों को अस्पताल की जरूरत है। अयोध्या में अस्पताल की नीव रखकर मुसलमानों ने मानवता की प्रेरणा दी है। - Vijay boudha





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