imagesimagesimagesimages
Home >> लेखकिय >> दशहरा एवं अशोक विजयी दशमी के अंतर

दशहरा एवं अशोक विजयी दशमी के अंतर

Vijay boudh

Thursday, January 28, 2021, 05:55 PM
Vijaydasmi

दशहरा एवं अशोक विजयी दशमी के अंतर को समझना जरूरी है।*

मूल निवासी सम्राट अशोक महान की  विजयी दशमी के इतिहास को मिटाने एवं  मौर्यों/मूलनिवासियों के 10 राजाओं द्वारा 137 वर्ष से लगातार चले आ रहे बौद्ध शासन को छिनने के लिए विदेशी आर्यों(मनुवादियों) ने बौद्ध राजा बृहद्रथ की हत्या कर दशहरा का त्योंहार शुरू किया,जिसका सीधा सा अर्थ होता है 10 को हरा(दशहरा)कर तुम्हारी हार(त्योंहार)।

वास्तविकता यह है कि दशहरा कोई त्योंहार नहीं है बल्कि यह

मूलनिवासियों की हार का दिन है जिसे बाबा साहेब अंबेडकर ने अश्वनी शुक्ल दशमी(14/10/1956)को पुनः जीत में बदलने का बिगुल बजाया था।

बाबा साहेब अंबेडकर ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही थी कि जो कोम अपना इतिहास नहीं जानती वह कभी भी अपने इतिहास का निर्माण नही कर सकती।

आपके पास इतिहास की पुस्तक उपलब्ध नहीं भी है तो कोई बात नहीं आप गूगल पर मौर्य साम्राज्य लिखकर(मौर्यों) मूलनिवासियों के सभी 10 राजाओं के नाम और शासनकाल की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

 वास्तविकता यह है कि ईसा पूर्व 322 से लेकर ईसा पूर्व 185 यानी कि 137 वर्ष तक 10 मूलनिवासी राजाओं ने भारत में लगातार राज किया था ,उन 10 राजाओं के नाम 1,चन्द्रगुप्त मौर्य , 2,बिंदुसार, 3,सम्राट अशोक, 4,कुणाल, 5,दशरथ, 6,सम्प्रति, 7शालिसुक,8,देववर्मन,9,शतधन्वन और 10,बृहद्रथ थे।

मूलनिवासी राजाओं के इसी काल को स्वर्ण काल (Golden time) कहा जाता है और इसी समय के बारे में कहा जाता है कि एक समय भारत  सोने की चिड़िया हुआ करता था इसके अलावा इसी समय में भारत विश्व गुरु भी बन गया था क्योंकि बौद्ध राजाओं ने नालंदा विश्वविद्यालय से लेकर तकक्षिला,विक्रमशीला सहित अन्य बड़े बड़े विश्विद्यालयों का निर्माण कार्य करवाया था और उन विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्य विद्वान बौद्ध भिक्षुओं द्वारा किया जाता था उस वक्त पूरे विश्व के विद्यार्थी भारत में अध्ययन करने के लिए इन बौद्ध विश्वविद्यालयों में आया करते थे।

बोद्धों से अर्थात मूलनिवासियों से सत्ता हड़पने के लिए विदेशी आर्यों ने एक षड्यंत्र रचा और(मनुवादी)पुष्यमित्र शुंग जो कि सम्राट बृहद्रथ की सेना का प्रधान सेनापति हुआ करता था उसने धोखे से सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर डाली एवं बगावत करके स्वयं राजा बन गया।

भारत के मूलनिवासी इतिहास के अनुसार इसी पुष्यमित्र शुंग को हिंदू धर्म गर्न्थो में राम के रूप में प्रचारित किया गया एवं 137 वर्ष तक लगातार शासन करने वाले उन 10 मूलनिवासी राजाओं को सामूहिक रूप से 10 सिर वाले रावण के तौर पर प्रचारित किया गया।

पुष्यमित्र शुंग द्वारा सम्राट बृहद्रथ की हत्या करने से सभी 10 मूलनिवासी राजाओं की हार को तुम्हारी हार त्योंहार बताकर दशहरा नाम दिया गया और उनके षड्यंत्र का मूलनिवासियों को पता ही नहीं चले इसलिए हर वर्ष रावण को जलाने का नाटक शुरू कर दिया।

बाबा साहेब अंबेडकर को जब सच्चे इतिहास का ज्ञान हुआ तो उन्होंने बौद्ध धम्म ग्रहण करने का वही दिन निर्धारित किया जिस दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म ग्रहण किया था और वह महत्वपूर्ण दिन था अश्वनी शुक्ल दशमी (14 अक्टूबर 1956)जिसे अशोक विजयी दशमी के नाम से जाना जाता था क्योंकि कलिंग युद्ध के बाद बुद्ध की शिक्षाओं से प्रभावित होकर सम्राट अशोक ने स्वयं पर विजय प्राप्त कर इसी दिन बौद्ध धम्म ग्रहण किया था।

अतः जिसे दशहरा का त्योहार प्रचारित किया गया वह मूलनिवासियों की हार का दिन तो है लेकिन बाबा साहेब अंबेडकर को मूलनिवासियों की हार का दिन बिलकुल भी पसंद नहीं था इसलिए उन्होंने इसी दिन बौद्ध धम्म ग्रहण कर हार को जीत में बदलने के लिए इसे अशोक विजयी दशमी के रूप में प्रचारित करने का काम किया, लेकिन बौद्ध धम्म की दीक्षा लेने के 53 दिन बाद ही बाबा साहेब अंबेडकर हम सबको हमेशा के लिए छोड़कर चले गए इसलिए दशहरा एवं अशोक विजयी दशमी के बारे में सभी मूलनिवासियों को पता ही नहीं चला।

अतः आज समय की जरूरत है कि सभी मूलनिवासियों को विजयी दशमी एवं दशहरा के मूलभूत अंतर के बारे में मालूम होना चाहिए।





Tags : himself Emperor commander Pushyamitra Sunga natives conspiracy foreign