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किसान आंदोलन एक क्रांति की ओर

Siddharth Bagde
tpsg2011@gmail.com
Monday, March 22, 2021, 08:04 PM
 Peasant movement

किसान आंदोलन एक क्रांति की ओर
सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून बनाए हैं। ये कानून हैं - कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सरलीकरण विधेयक 2020, कृषक सशक्तीकरण व संरक्षण, कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020, और आवश्यक वस्तु संशोधन, विधेयक 2020
किसानों की मांग है कि सरकार इन तीनों कानूनों को निरस्त करे। किसान संघ कृषि उत्पादों की एमएसपी से कम मूल्य पर खरीद को दंडनीय अपराध के दायरे में लाने की मांग भी कर रहे हैं इसके अलावा वे धान, गेहूं की फसल की सरकारी खरीद को सुनिश्चित करने की मांग भी कर रहे हैं।
किसानों को आशंका इस बात की है कि पहले निजी कंपनियां किसानों को बेहतर कीमतें ऑफर करेंगी। इसके चलते एपीएमसी मंडियां बंद हो जाएंगी और उसके बाद वे अपनी मनमानी करेंगी और किसानों के पास तब कोई दूसरा विकल्प नहीं होगा।
कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने बताया निजी क्षेत्र चाहता है कि एपीएमसी मंडियां बंद हो जाएगा किसानों को भी इसका डर है अगर एपीएमसी बंद हो जाती है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य भी खत्म हो जाएगा।
कृषि मंत्रालय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की आंकड़ों के हिसाब से एमएसपी निर्धारित करता है मौजूदा समय में सरकार 23 फसलों की खघ्रीद एमएसपी के हिसाब से करती है हालांकि किसानों को कहना है कि सरकार गेहूं और धान के भंडारण के लिए बड़े पैमाने पर खरीद करती है और इन दोनों फसलों के अलावा शायद ही कोई फसल वे एमएसपी पर बेच पाते हैं खुले बाजार में तो और भी नहीं।
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के चलते अब किसान एपीएमसी मंडी के बाहर खुले बाजार में अपना उत्पाद किसी भी कीमत पर बेच पाएंगे लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी चाहते हैं।
किसानों को आशंका है कि अगर एमएसपी की गारंटी नहीं होगी तो निजी कंपनियां किसानों को कीमतें कम करने पर मजबूर कर सकती हैं किसानों का आरोप है कि ये कानून एमएसपी को खत्म करने की दिशा में पहला कदम है।
विरोध प्रदर्शन में अब लगभग दो माह से अधिक हो चुका है जिसके अलग अलग राज्यो से लाखो किसान आंदोलन में शामिल है।
हजारों किसान टेंटों में है, कई हजार ट्रैक्टरों और ट्रकों में बैठकर सड़कों पर बैठकर चैबीसों घंटे प्रदर्शन कर रहे हैं् इन किसानों को स्थानीय लोगों का समर्थन भी मिल रहा है, किसानों का दावा है कि वे छह महीने की तैयारी के साथ प्रदर्शन करने पहुंचे हैं।
सरकार के साथ लगभग कई बैंठके हो चुकी है, लेकिन अभी तक सरकार अपने निर्णय पर अडिग है, कई किसान शहिद हो चुके है, कई मुश्किलात किसान झेल रहे है, कई अत्याचार हो रहे है मगर सरकार ने तो अपनी आंखे बंद कर ली है। बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो कि तर्ज पर चल रही है, इंटरनेट तक बंद कर देती है।
किसानों के प्रदर्शन पर राजनीतिक दलों, बॉलीवुड और रीजनल सिनेमा के स्टार, खेल की दुनिया के सितारों ने चिंताएं व्यक्त की हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नए कानूनों को अडानी.अंबानी कानून कहते हुए विरोध कर रहे किसानों का समर्थन किया है पंजाब और हरियाणा के अलग अलग क्षेत्र की हस्तियों ने किसानों का साथ देने की घोषणा की है।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण सम्मान लौटाने की घोषणा की है वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस ढींढसा ने पद्म श्री लौटाने का एलान किया है।
ओलंपिक पदक विजेता बॉक्सर विजेंदर सिंह ने कहा कि अगर किसानों की बात नहीं मानी गई तो वे अपना खेल रत्न पुरस्कार लौटा देंगे पंजाब के कई ओलंपियन और नेशनल चैंपियन विरोध प्रदर्शन में किसानों के साथ खड़े हैंण्
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रेह भारतीय किसानों के समर्थन में बयान दिया है। ब्रिटेन में कई सांसदों ने किसानों के प्रदर्शन को लेकर चिंताएं व्यक्त की हैं।
किसानो का कहना है आपने जो कपड़े पहने है, आपने जो मोबाईल खरीदा है, उसका मूल्य का निर्धारण कौन करेगा। सीधा सा उत्तर है जो उसका निर्माण करेगा। उसी प्रकार खेत में किसान फसल उगाता है तो उसका निर्धारण कौन करेगा इसका भी उत्तर यही है कि किसान ही निर्धारण करेगा। सरकार की नीति है कि किसानो की जमीन को प्राइवेट हाथो में सौप दिया जाये।
जिन तीन नये कृषि कानून के लागू होने का मतलब यह है कि सामान्य जन के लिये बहुत बड़ी मुश्किल हो जायेगी। जो चीज 5 या 10 रूपये में खरीद रहे है, वह 50 और 100 रूपये की मिलेगी। जो गरीब पैसे पैसे के लिये मोहताज है, उसके जीने का सवाल खड़ा हो जायेगा। कृषि मंडियो की प्रासंगिकता शून्य हो जायेगी। सरकार कृषि उपज के क्रय-विक्रय की खुली छूट दे रही है। इस कानून की आड में सरकार निकट भविष्य में खुद बहुत अधिक अनाज न खरीदने की योजना पर काम कर रही है। सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक कृषि उपज की खरीदारी निजी क्षेत्र करें ताकि वह अपने भंडारण और वितरण की जवाबदेही से बच सके।
आपको जानकारी हो तो बता दूं कि जब भी बीजेपी की सरकार पावर में होती है वहां धर्म की राजनीति होती है। दंगो पर राजनीति होती है। गुजरात के दंगे, पुलवामा में अटैक, शाहिन बाग में दंगे, किसान आंदोलन को दबाया जाना हिंसा किया जाना सब में बीजेपी का हाथ है। इनके आकाओ के प्राडक्ट खरीदना बंद कर दो पंताजली, रिलायंस के प्रोडक्ट खरीदना बंद कर दो।
जब भी इंसानियत के लिये आंदोलन चलता है तो उसे हटाने का कार्य इनकी संस्थाये जैसे आरएसएस, हिन्दू महासभा, बजरंग दल करती है। जब कि इन संस्थाओ में हमारे ही भाई बंधू एससी एसटी ओबीसी के लोग काम करते है, इन्हें अपने भाई बंधूआ के आंदोलन में भाग लेने की जरा भी सुध नहीं है, ये तो इनके आकाओ की गुलामी करते है, और जब वार करना होता है तो ये भी नहीं देखते की अपने ही भाईयो पर वार कर रहे है।
आपका अपना संपादक
सिद्धार्थ बागड़े
दीक्षाभूमि एक्सप्रेस
तक्ष प्रज्ञाशील गाथा





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