घाटीगांव के जंगलों का कत्ल Siddharth Bagde tpsg2011@gmail.com Friday, June 20, 2025, 04:45 PM घाटीगांव के जंगलों का कत्ल: लालच, मिलीभगत और जंगलों की लाशें" लेखक - सिद्धार्थ बागड़े घाटीगांव के हरे-भरे जंगल, जो कभी जीवन, हरियाली और जैव विविधता के प्रतीक थे, आज तस्करों की कुल्हाड़ियों और आरी की मार से कराह रहे हैं। ताजा घटनाक्रम में इन जंगलों से लगभग 1660 पेड़ों की अवैध कटाई की खबर सामने आई है, जिनमें अधिकांश कीमती खैर के पेड़ हैं। यह महज पेड़ों की कटाई नहीं, एक जीवंत पारिस्थितिक तंत्र की निर्मम हत्या है। जंगलों में कत्लेआम और प्रशासन की चुप्पी तिलावली, महुआखेड़ा, बसौटा, जखौदी जैसे गांवों के पास स्थित जंगलों में तस्करों ने दिन-दहाड़े पेड़ों को काटा, और उनके अवशेषों को ट्रकों में भरकर बाजार तक पहुँचाया, जहाँ इनकी लकड़ियाँ 3 से 5 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेची जाती हैं। एक आम नागरिक के मन में सबसे पहला सवाल यही उठता है — क्या यह सब बिना प्रशासन की जानकारी के संभव है? उत्तर स्पष्ट है — बिल्कुल नहीं। मिलीभगत या निष्क्रियता? जंगल विभाग और स्थानीय प्रशासन के पास न केवल संसाधन होते हैं, बल्कि सूचना तंत्र भी होता है। ड्रोन निगरानी, गश्त दल, ग्रामीण चौकसी समितियाँ—ये सब कुछ कागज़ों में मौजूद होते हैं। मगर जब 1660 पेड़ एकाएक लापता हो जाएँ, तो यह समझने में देर नहीं लगती कि या तो प्रशासन सो रहा था या फिर जानबूझकर आंखें मूंद ली थीं। कुछ अधिकारियों के लिए जंगल अब सिर्फ 'रेवेन्यू सोर्स' बन गए हैं — लकड़ी की तस्करी से, अवैध सौदों से और मूक स्वीकृति से। खैर के पेड़: सिर्फ लकड़ी नहीं, जीवन की नब्ज़ खैर के पेड़ केवल वाणिज्यिक दृष्टि से मूल्यवान नहीं हैं। वे मृदा को स्थिर रखते हैं, वर्षा जल को संचित करते हैं, और असंख्य जीवों को आवास प्रदान करते हैं। इनका विनाश केवल पेड़ों का नाश नहीं, एक पारिस्थितिकी का विनाश है, जो अंततः मानव जीवन को भी प्रभावित करेगा। भूमिका हरियाली, पेड़, और जंगल केवल प्रकृति की शोभा नहीं हैं, वे पृथ्वी पर जीवन की नींव हैं। यदि हम अपने बच्चों को एक सुरक्षित, स्वच्छ और जीवनदायिनी दुनिया देना चाहते हैं, तो सबसे पहली आवश्यकता है – हरियाली का संरक्षण। मैं पहले भी “एक पेड़, एक जीवन” विषय पर एक लेख लिख चुका हूं, जिसमें पेड़ों के महत्व को उजागर किया गया था। लेकिन आज, दैनिक भास्कर अखबार के पृष्ठ क्रमांक 9 पर प्रकाशित एक ख़बर ने मेरी आत्मा को झकझोर दिया – "घाटीगांव के जंगलों में तस्करों ने काटे पेड़।" यह लेख पढ़ने के बाद मैं चुप नहीं रह सका। यह लेख लिखने का उद्देश्य केवल अपनी पीड़ा प्रकट करना नहीं, बल्कि हर पाठक को जागरूक बनाना है कि जंगलों को बचाना अब केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के जीवन का सवाल है। Tags : ecosystem Khair trees forests illegal felling development