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हिन्दुराष्ट्र के नाम पर वर्ण -जाती सिस्टम

Anil Golait
anilgolait2017@gmail.com
Wednesday, January 8, 2020, 09:14 AM
Varna-caste

सवाल नागरीकता का नही देश को हिन्दुराष्ट्र के नाम पर वर्ण -जाती सिस्टम लागू करके विदेशियों द्वारा गुलाम बनाने का है,:-

         लेख को मैं अपने महत्वपूर्ण समय को निकालकर लिख रहा हूँ, खाली बैठा हूँ, इसलिये नही लिख रहा हूँ,लेकिन कुछ मुद्दे आपके विश्लेषण के लिए अधूरे रखूंगा, आपको इसपर विश्लेषण करके अपना मत बनाना है।

क्रांति को प्रतिक्रांति में बदलने के सूत्र,

 1,विश्व ने बुद्ध को सबसे ज्ञानी व्यक्ति माना, बुद्ध को गणेशजी के द्वारा कहानी रचकर, बुद्ध के स्थानपर प्रस्थापित किया, इसके लिए तर्क को धर्म विरुद्ध घोषित किया"जो तर्क नही कर सकता वह मुर्ख है,इसी प्रकार फिर भी नष्ट नही कर पाए तब विष्णु का नववा अवतार घोषित किया।

2,सम्राट अशोक के समय संपूर्ण भारत बौद्धिस्ट था, वैदिक काल की वर्ण सिस्टम को बुद्ध के आंदोलन ने निष्प्रभावी कर दिया था, वर्ण सिस्टम मृतपाय हो चूका था, तब मुस्लिम धर्म का उदय नही हुआ था,अशोक का शासन, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, अफगानिस्थान, म्यामार, और ईरान तक पहुँच गया था, इस समय संपूर्ण क्षेत्र बौद्धिस्ट राष्ट्र था।

3,सम्राट अशोक ने 23 विश्व विद्यालयों की स्थापना की,जिसने, नालंदा, तक्षशीला,विक्रमशिला, कंधार, प्रमुख थे।

इसके अलावा, उन्होंने बुद्धिज़्म का प्रचार, श्रीलंका, थाईलैंड, चीन,पश्चिम एशिया, मिश्र, यूनान,में कराया, विदेश से कही छात्र भारत में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे।

अशोक ने कई शिलालेख और स्तुपो का निर्माण कराया।

4,ब्रामणो का कार्य सेना में जाना नही होता था, किंतु अशोक के वंशज, वृहद्रथ को पुष्पमित्र सुङ्ग्य नामक ब्रामण सेनापति के द्वारा जीवन लीला, समाप्त करके खुद सेनापति ने अपने को राजा घोषित किया,यह बात ईसा 185 के पूर्व की है। पतंजलि के नुसार सुंग भरद्वाज गोत्र से ब्रामण था।

5,अस्वमेघ यज्ञ किया,जिसमे पुशुबली की प्रथा शुरू कराई, मनुस्मृति की रचना इसी समय की गयी, और वर्ण सिस्टम को, जाती सिस्टम में परिवर्तित किया, तीन वर्ण के पुरुष को पढ़ने का अधिकार था, ब्रामण का काम पूजा, पुरोहित, न्यायाधीश के भूमिका निभाने लग् गए, क्षत्रिय देश रक्षण,व्यापार का बनिया, संपूर्ण महिला, और बाकि सम्पूर्ण पुरुष शुद्र घोषित किये गए।

2001 की डीएनए रिपोर्ट में ब्रामण, बनिया, ठाकुर, का डीएनए विदेशी है, बाकि सभी महिला पुरुष का डीएनए अलग है, वे भारत के मूलनिवासी है।

आज सिद्ध हो रहा है, यह आक्रमण कारी थे, जो स्वयं अधिकार सम्पन्न थे, महिलाओ को सती प्रथा, बालविवाह, खरीदी बिक्री की वस्तु समझकर उनके बाज़ार भी लगाएं जाते थे।

उसी प्रकार शुद्र दो कैटेगिरी में विभाजित थे,शुद्र और अतिशुद्र थे। उसी के आधारपर sc, st, obc, और इनसे परिवर्तित धार्मिक अल्पसंख्यक,माइनॉरिटी है।

6,भारत में मुस्लिम 7 वी शताब्दि के आसपास आये और इन्होंने 18 वी सदी तक शासन में रहे, उसके बाद अंग्रेजो का सम्पूर्ण भारत पर शासन रहा।,इसी बीच मराठो का शासन भी कुछ क्षेत्र में रहा,।

7,यहाँ एक सवाल है, अशोक के समय की बौद्धिस्ट जनता कहा गयी।

वह इस्लाम में परिवर्तित हुई, ब्रामणो ने ठाकुरों ने मुस्लिम राजाओं के साथ रिश्ते नाते भी बनाएं, जोधाबाई,,,, ऐसे कुछ उदाहरण भी है, नालंदा, तक्षशीला भी नस्ट हो गए, स्तुपो का पता ही न चले उस स्थिति में पहुँच गए,,,

8,आज का जो बिल है, वह बिल मुस्लिम को नागरिक न देनेपर है, आज भी बुद्धिज़्म से परिवर्तित मुस्लिम है, या अछूतो से परिवर्तित मुस्लिम है,शुद्र है, वे पूर्व के बौद्धिस्ट ही है।

9,पाकिस्तान, बंगलादेश, म्यामार के मुस्लिम के नाम से दुष्प्रचार करके,जो बिल भारत के सरकार द्वारा लाया गया, उसकी वास्तविकता क्या है?

10,धर्म निरपेक्षता को पंथनिरपेक्ष बताना, और हिन्दू का एक अंग बताकर, ईसाई, बौद्ध, शिख, जैन, पारसी, को बताकर, हिन्दू vs मुस्लिम वाद तैयार करके भारत के सविधान के ढांचे पर प्रहार करना है।

11,आरएसएस ने 2025 तक भारत को हिन्दू अर्थात् ब्रामणी राज्य जो पूर्णतः असवैधानिक है, का निर्माण करना यह मुख्य बात ध्यान देनेवाली है।

12 यह लढ़ाई हिन्दू मुस्लिम  की न होकर, दो संस्कृति की है, एक श्रमण और दूसरी ब्रामण।

श्रमण संस्कृति, मैत्री, समानता, बंधुभाव,न्याय आधारित है, जो सविधान के विचार धारा का सन्मान करती है।

ब्रामण संस्कृति वर्ण, जाती सिस्टम में विश्वास करती है, और लड़ाने का काम करती है।

13,निष्कर्ष:- डीएनए के आधारपर किसी को नागरिकता से वंचित नही किया जा सकता है ,न हम करेंगे,न सविधान इजाज़त देता है, इसी प्रकार धर्म के आधारपर किसी को भी नागरिकता से वंचित नही किया जा सकता।

वंचित किया जा सकता है, देशद्रोह का काम करे, सविधान के प्रति को जलाए, देश के साथ षड्यंत्र करके दंगे फ़ैलाने का काम करे, विदेशो में देश की गुप्त सूचना देकर उसके सुरक्ष्या में धोका निर्माण करे,सविधान को ,उसके झंडे, उसके एकता अखंडता को मानने से इंकार कर दे, यह कार्य न्यायपालिका के द्वारा होगा,या सविधान के नियमानुसार होगा।

14,सविधान के विरोध में जो कानून विधायिका बनाएं, उस कानून को सुप्रीम कोर्ट शून्य घोषित करे, इसके अलावा कोर्ट सविधान के विरुद्ध न्याय दे तब विधायिका उस विरुद्ध काम करने वाले जजेश के खिलाफ महाभियोग लाएं।

15,किसी भी प्रकार की सरकारी सम्पति को नुकसान न पहुचाए, किसी को शारीरिक यातना न दे,कोही भी नियंम के विरुद्ध शासकीय सेवक नागरिक कार्य करे उसको समझाईश दे, और यदि न माने सभीको अपनी सुरक्ष्या करने का अधिकार है, कानून का सहारा ले, और आपराधिक तत्वो को कंट्रोल करने के लिए शासन को सहयोग दे, शांति भंग करने का कार्य, यदि लोक प्रशासन में बैठे लोग करे, तब उनके वरिष्ठ अधिकारी और जरूरत पड़नेपर न्याय का दरवाजा खटखटाए,

16,देश हम सभी का है, हम सब भारतीय है, सभी को सन्मान से जीने का अधिकार है, लोगो का आदर करे, और आदर करके, खुद भी आदर पाएं।

17,सविधान के भावना के विरोध में लागू कोही भी बिल हो, उसको वापस करने के लिए आवाज उठाएं, मौलिक अधिकारों के तहत।





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