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शादियों में धन की बर्बादी

Dr. M. L. Parihar

Sunday, May 26, 2019, 07:32 PM
Barbadi

शादियों में धन की बर्बादी की बजाए दुकान खोलते तो समाज को बाजार बंद करवाने के लिए सड़कों पर उतरना ही नहीं पड़ता।’
जिस प्रकार हम लोग अपने घर को जब चाहें खोलें और बन्द करें, इसमें कोई परेशानी नहीं होगी लेकिन दूसरे को घर को बंद करना नामुमकिन है, गैर कानूनी और अपराध है, उसी प्रकार यदि बाजारों में हमारे समाज की दुकानें होती तो आज ये नोबत पैदा नहीं होती। हमारे समाज के बड़े बड़े अधिकारियों ने भी कभी यह नहीं सोचा कि हमें बाजारों का निर्माण कार्य शुरू करना चाहिए। हम सभी लोग बाबा साहेब अंबेडकर को अपना आदर्श मानते हैं लेकिन बाबा साहेब अंबेडकर ने कब कहा था कि आरक्षण की बदौलत जब आप लोग बड़े अधिकारी अथवा कर्मचारी बनोगे तो शादियों में बड़े बड़े पंडाल लगाकर धन की जमकर बर्बादी शुरू कर देना।
हमारे समाज के जो भी व्यक्ति 40 से ऊपर की आयु के हैं उन्हें सब मालूम है कि हमारे समाज में शादियां कैसे होती थी ? शादी का मतलब धन की बर्बादी नहीं होता है, बल्कि सादगीपूर्ण तरीके से दाम्पत्य जीवन की शुरुआत करना होता है।
जिस प्रकार राजस्थान प्रदेश में दस हजार ग्राम पंचायत हैं यदि हमारे लोग समझदारी दिखाते और बाजारों में दुकानें खोलने का एक अभियान चलाते जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत से एक व्यक्ति को भी हर वर्ष दुकान खुलवाते तो 10 हजार दुकान प्रतिवर्ष खुल सकती थी।
शादी के अवसर पर हम जितनी खुशियाँ मनाते हैं उससे ज्यादा खुशी दुकान खोलने पर हमें मनानी चाहिए। वर्तमान हालातों को नजरअंदाज नहीं जा सकता है इसलिए शादी में धन की बर्बादी को बंद करने के लिए पूरे समाज को इस पर विचार करना होगा और बिना धन की बर्बादी वाली सादगीपूर्ण शादियां शुरू करने का प्रचार करना होगा। बड़े बुजुर्गों का कहना था कि जितनी लम्बी रजाई होती है पाँव भी उतने ही पसारने चाहिए, ऊपर की ओर थूकोगे तो स्वयं के ऊपर ही थूक वापिस आकर गिरेगा। एक साथ बहुत सारा धन कमाना हमारे वश की बात नहीं है, लेकिन बहुत सारा धन एक साथ खर्च नहीं करना तो हमारे हाथ की बात है इसलिए जो हमारे हाथ में है उसे तो  हम आसानी से कर ही सकते हैं ऐसा करना भी चाहिए। समाज के बड़े अधिकारी और कर्मचारी जिस दिन धन की बर्बादी पर नियंत्रण करना शुरू कर देंगे उस दिन समाज आर्थिक विकास की ओर बढ़ने लगेगा।
वर और वधु की ओर से यदि कुल मिलाकर 10 लाख रुपये भी शादी में खर्च होते हैं तो उसे शादी की बजाय बिजनेस में लगाओ और जिस दिन बिजनेस शुरू करते हो उस दिन ढोल बजाओ, लोगों को खाना खिलाओ, नाचो गाओ और खुशियां मनाओ, लेकिन शादी में धन की बर्बादी बन्द करो। बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा फैलाएंगे, शादी में धन की बर्बादी रोकने के लिए समाज को जगायेंगे और अपने बाजारों का निर्माण कराएंगे।
- एम एल परिहार

 





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