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मुल्ला फिर भी हंसता है

Sumedh Ramteke

Monday, March 22, 2021, 08:19 PM
Mullah still laughs

मुल्ला फिर भी हंसता है ...*

*सात साल से कोशिश है, कि कुछ भी हो जाये, बस मुल्ले टाइट होने चाहिए। रोज एक नया ड्रामा, रोज नया तमाशा, रोज नई थ्योरी। ऊंची ऊंची पोजीशनों पर बैठे,हमारे बड़े बड़े लोग, दिन रात सिर जोड़कर बस यही सोचते हैं कि मुल्ले टाइट कैसे हो। जितना सूझे, जो जो सूझे, सब करते हैं। मगर ये मुल्ला... फिर भी हंसता है।* 

*परपीड़ा के ग्रन्थ खोले। लड़ने लड़ाने के तरीक़े ईजाद किये। सीधे सीधे,टेढ़े मेढ़े, उलट पलट तरीके अपनाए। गालियां दी, पाकिस्तान जाने को कहा, गद्दार बताया, आतंकी कहा। कब्रिस्तानों की फैसिलिटी काटी, श्मशानों को आबाद किया। अली वर्सेज बजरंग बली की तुकबंदी जोड़ी। जोर जोर से भाषणों में डराया।*

*लेकिन मुल्ला.. न टस, न मस। जब देखो, ठठाकर हंसता है।* 

*एक से एक कानून लाये। तीन तलाक से महरूम किया। हज की सब्सिडी छुड़ाई। जिहाद बताकर लव को बैन किया। एक पूरे स्टेट को NRC के नाम पर हलाकान किया। दूजे में दंगे भड़काए। तीसरे में पत्थर फिंकवाये, चौथे में ... अरे, अब छोड़ो..*

*अल्पसंख्यक को महाअल्पसंख्यक बनाने पड़ोसी देशों से हिन्दू लाने का जतन किया। टीवी पर चिंघाड़ कर तमाम क्रोनोलॉजी समझाई। इन्हें तो थर थर कांपना चाहिए था। लेकिन यार, ये मुल्ला फिर भी हंसता है।* 

*इनका आर्थिक बहिष्कार करने की सोची। इनका राजनीतिक बहिष्कार करने किया। इनका सामाजिक बहिष्कार की साजिश की। इनके चक्कर मे अर्थयव्यवस्था, राजनीति, समाज तीनो चूर चूर कर दिए। पूरी एक पीढ़ी नाश कर ली, सिर्फ इसलिए कि मुल्ले टाइट हों। लेकिन ये मुल्ला फिर भी हंसता है।* 

*आधुनिक भारत के मंदिर बेचे। प्राचीन भारत के मन्दिर बनाये। बैंक डुबाये, रेलवे बेची, पेंशन हटाई, तनख्वाहें गिरी, बच्चे बेरोजगार घूमने लगे। कोर्ट पर झंडा लगाया, कामेडियन को सजा दी, हंसी पर तमाम पहरे लगाए। हंसने वालों पर निगाह रखी।* 

*जब सारा देश टेंशन में, भविष्य की चिंता में डूबा, रोटी रोजी को हैरान परेशान, पेशानी सिकोड़े घूम रहा है। लेकिन ये मुल्ला अब भी हंसता है। कश्मीर में हंसता है, बंगाल में हंसता है, यूपी बिहार और महाराष्ट्र में, यहां तक कि गुजरात मे भी हंसता है।*

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*हर संस्था में अपने लोग बिठाये। एक से एक मूर्ख, हामीदार, यस मैन...।*

*देश ने भी उम्मीदों से हमारे उम्मीदवार जिताये। कितनी आशा थी सबको.. एक दिन हम मुल्ले टाइट करेंगे। इनका जीना मुहाल कर देंगे। फिर इनके रेले के रेले अपने बर्तन भांडे इकट्ठा कर, पाकिस्तान बंग्लादेश चीन अफगानिस्तान और हिन्द महासागर में बसने भाग जाएंगे।*

*लेकिन कुछ नही हुआ, ठसक से बैठे हैं। अपना काम धाम कर रहे हैं। मजे से जी रहे हैं। हिन्दू, सिख, क्रिस्तान के साथ शामें गुजार रहे हैं पार्कों में घूम रहे हैं, इस बड़े से देश की अपनी छोटी छोटी दुनिया मे खुश हैं। इतना हिला डाला, लेकिन हिंदुस्तान में जड़ें धँसाये बैठे हैं। तिरंगा लेकर चढ़े आते हैं। भई, ये मुल्ला है या अंगद का पांव , जब उखाड़ने जाओ, अंगद की तरह हंसता है।* 

*इटली से, जर्मनी से, रावण से, कंस से, मींन कैम्फ से, हिंदुत्वा से, रौलेट एक्ट से, मीसा से ..  जहां जहां से बुराई के जितने तौर तरीके कॉपी किये जा सकते थे, सब किये। और भी करेंगे, डटे रहेंगे। खूब परेशान करेंगे। लेकिन सवाल ये है, की मुल्ला ऐसे क्यों हंसता है।* 

*इसके तमाम आंदोलन, विरोध, लिखापढ़ी कोर्ट केस, धरना, प्रदर्शन से फर्क नही पड़ता। मगर दिल टूक टूक हो जाता है, जब ये हंसता है। कारण आज तक समझ तो नही आया, पर कभी कभी सोचता हूँ, मितरों* 

*क्या ये मुल्ला हम पर हंसता है??*

एडवोकेट- फिरोज आलम 





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