तीसरी कक्षा का रजिस्टर TPSG Friday, October 16, 2020, 08:27 AM तीसरी कक्षा का रजिस्टर* डिप्रेशन ग्रस्त एक सज्जन जब 50+ के हुए थे, तो उनकी पत्नी ने एक काउंसलर का appointment लिया। बात-चीत में उन्होने कहा ये भयंकर डिप्रेशन में हैं, मन का हाल बता दिया... कि मैं भी ठीक नही हूँ ।। काउंसलर ने अब काउंसलिंग शुरू की। फिर सज्जन की पत्नी को बाहर बैठने को कहा। और कुछ पर्सनल बाते भी पूछी। सज्जन बोलते गए , बहुत परेशान हूँ... चिंताओं से दब गया हूँ... नोकरी का प्रेशर। बच्चों के एज्युकेशन और जॉब की टेंशन। घर का लोन। कार का लोन। कुछ मन नही करता... दुनियाँ तोप समझती है.. पर मेरे पास कारतूस जितना सामान नही...!!! मैं डिप्रेशन में हूँ ... कहते हुये पूरा जीवन किताब खोल दी। तब काउंसलर ने कुछ सोचा और पूछा... *तीसरी(class3)* में किस स्कूल में पढ़ते थे... सज्जन ने उसे स्कूल का नाम बता दिया... काउंसलर ने कहा आपको उस स्कूल जाना होगा ... वहाँ आपकी तीसरी क्लास के सारे रजिस्टर लेकर आना. सज्जन स्कूल गए...रजिस्टर लाये। काउंसलर ने कहा आपने साथियों का वर्तमान हालचाल की जानकारी लाने की कोशिश करो। उसे डायरी में लिखो और एक माह बाद मिलना। कुल 4 रजिस्टर, जिसमे 200 नाम थे। और महीना भर दिन रात घूमा.. और बमुश्किल 120 अपने सहपाठियों के बारे में जानकारी एकत्रित कर पाए। - आश्चर्य उसमें से 20% लोग मर चुके थे। - 7% लड़कियाँ विधवा और 13 तलाकशुदा या सेपरेटेड थी। - 15% नशेडी निकले, जो बात करने लायक़ नहीं थे। - 20% का पता ही नहीं चला की अब वो कहाँ है ! - 5% इतने ग़रीब निकले की पूंछो मत.. - 5% इतने अमीर निकले की पूंछे नहीं। - कुछ केन्सर ग्रस्त। - 6-7% लकवा या डाइबीतटीज, अस्थमा या दिल के रोगी निकले! - 3-4% का एक्सीडेंट्स में हाथ/पाँव या रीढ़ की हड्डी में चोट से बिस्तर पर थे। - 2 से 3% के बच्चे पागल..वेगाबॉण्ड... या निकम्मे निकले! - 1 जेल में था.. और। - 1 अब 50 की उम्र में सैटल हुआ था इसलिए अब शादी करना चाहता था! - 1 अभी भी सैटल नहीं था पर दो तलाक़ के बावजूद तीसरी शादी की फ़िराक़ में था! महीने भर में ... “तीसरी कक्षा का रजिस्टर” भाग्य की व्यथा ख़ुद सुना रहा था..!! काउंसलर ने खुद पूछा - *अब बताओ डिप्रेशन कैसा है ?* अब सज्जन को समझ आ गई की उसे कोई बीमारी नहीं, वो भूंखा नहीं मर रहा, दिमाग एकदम सही है, कचहरी पुलिस वकीलों से उसका पाला नही पड़ा... उसके बीवी-बच्चे बहुत अच्छे हैं, स्वस्थ हैं, वो भी स्वस्थ है। डाक्टर अस्पताल से पाला नही पड़ा। उन्होंने रियलाइज किया कि दुनियाँ में वाक़ई बहुत दुख: हैं.. मै बहुत सुखी और भाग्यशाली हूँ.. दो बात तय हुई आज कि - धीरूभाई अम्बानी बनें या न बनें न सही.. और भूखा नहीं मरे....बीमार बिस्तर पर न गुजारें... जेल में दिन न गिनना पड़े तो सबसे सुंदर सर्वोत्तम जिंदगी अपनी ही है। *क्या अब आपको भी ऐसा लगता है। कि आप डिप्रेशन में हैं ।।* *अगर आप को भी ऐसा लगता है तो आप भी तीसरी कक्षा का रजिस्टर स्कूल जाकर ले आयें।* Tags : like education pressure Nocturnal gentleman