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अल्संख्यकों और पिछड़ा वर्ग के लोगों को स्वावलंबी बनाने की योजनाये बंद

Siddharth Bagde
tpsg2011@gmail.com
Friday, April 19, 2019, 07:58 AM
Yojnaye band

अल्संख्यकों और पिछड़ा वर्ग के लोगों को स्वावलंबी बनाने की योजनाये बंद
    अल्पसंख्यकों और पिछड़ा वर्ग के लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए जोर-शोर से इन योजनाओं  को शुरू किया गया था, लेकिन पैसे के अभाव में दम तोड़ रही हैं। पहले से ही कर्ज में डूबे निगम के पास इतना पैसा नहीं है कि वह इन तमाम योजनाओं को फिर से शुरू कर सके। इसके लिए विभाग के आयुक्त ने एक विकल्प भी सुझाया था।
    इसके तहत इन योजनाओं को बैंकों से जोड़ने की बात कही गई थी, ताकि लोगों को इसका लाभ मिलता रहे, लेकिन इस सुझाव पर भी अमल नहीं हुआ इधर, कर्ज में डूबे निगम के संचालन के लिए म0प्र0 शासन ने स्थापना व्यय देना शुरू कर दिया है। इसके पहले केन्द्र के पैसों की रिकवरी से निगम का खर्च चल रहा था। वहीं पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए म0प्र0 शासन ने मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग स्वरोजगार योजना शुरू की है। इसमें 25 लाख तक का लोन और 25 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान है। लेकिन इसमें ब्याज दर अधिक है। बैंक गारंटी के रूप में कुछ प्राॅपर्टी आदि रखता है।
    निगम पर इतना कर्ज इसलिए है, क्योंकि रिकवरी के 150 से ज्यादा मामले कोर्ट में चल रहे हैं। वहीं कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है। वहीं जिन लोगों को लोन दिया गया है, उनमें से अधिकतर का अता-पता भी नहीं है, जिससे रिकवरी में दिक्कत आ रही है।
1. टर्म लोन
प्रावधान - इसमें स्वरोजगार के लिए कुल लागत का 90 प्रतिशत तक ऋण राष्ट्रीय निगम द्वारा दिया जाता है। शेष 10 प्रतिशत राशि हितग्राही या राज्य निगम दोनों में से कोई भी वहन कर सकता है। इसकी अधिकतम राशि 5 लाख रूपये ऋण के रूप में दी जा सकती है, जिसकी ब्याज दर भी काफी कम है।
हकीकत - यह योजना पिछले 5 साल से बंद है।
2. मार्जिन मनी
प्रावधान - इसके तहत हितग्राहियों को राष्ट्रीय निगम से स्वरोजगार के लिए कुल लागत का 40 प्रतिशत तक ऋण देने का प्रावधान है। शेष राशि चैनेलाइजिंग एजेंसी, लाभार्थी या बैंक द्वारा दी जा सकती है। इसमें अधिकतम 2 लाख रूपए तक ऋण दिया जा सकता है।
हकीकत - इसका लंबे समय से हितग्राहियों को लाभ नहीं मिला।
3. सूक्ष्म ऋण योजना
प्रावधान - राज्य की चैनेलाइजिंग एजेंसी के जरिए इस योजना में 25 हजार रूपए तक का ऋण देने का प्रावधान है। इसमें भी ब्याज दर काफी कम है। इस योजना का लाभ लेने वालों में पिछड़ा वर्ग के पात्र हितग्राहियों को चैनेलाइजिंग एजेंसी व तकनीकी संस्थाओं के माध्यम से तकनीकी, पारंपरिक कला, उद्यमिता कौशल की ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसके लिए ऋण सहायता राज्य पिछड़ा वर्ग निगम/नामित राज्य चैनेलाइजिंग एजेंसी हैं, जो मदद करती है।
हकीकत - इसका 4-5 साल से हितग्राहियों को कोई लाभ नहीं मिला।
4. सामान्य ऋण योजना
प्रावधान - राज्य चैनेलाइजिंग एजेंसियो के माध्यम से पिछड़ा वर्ग के हितग्राही इसका लाभ ले सकते है। इनमें ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राही जिनके परिवार की सालाना आय 40 हजार और शहरी क्षेत्र में 50 हजार सालाना हो, वे इसका लाभ ले सकते है। इस योजना में अधिकतम 5 लाख तक का ऋण देने का प्रावधान है।
हकीकत - इस योजना का किसी को लाभ नहीं मिल रहा है।
5. माइक्रो फायनेंस
प्रावधान - इस योजना में राज्य चैनेलाइजिंग एजेंसी/गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से निगम लक्षित वर्ग, विशेषकर महिला हितग्राहियों को ऋण उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इसमें अधिकतम एक लाभार्थी को 20 हजार रूपए ऋण देने का प्रावधान है।
हकीकत - यह योजना भी बंद है। इसके लिए भी बजट नहीं होने से योजना सिर्फ कागजों तक सीमित हो कर रह गई है।
6. शैक्षिक ऋण योजना
प्रावधान - पिछड़ा वर्ग के छात्रों को स्नातक और उच्च स्तर पर सामान्य, व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा-प्रशिक्षण के लिए ऋण देने के लिए यह योजना चल रही है। इसके अंतर्गत 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर वित्तीय सहायता दी जाती है, जिसकी अधिकतम ऋण सीमा 3 लाख रूपये प्रति हितग्राही है।
हकीकत - बजट नहीं होने से यह योजना भी कागजी बन कर रह गई है।
7. नई स्वर्णिम योजना
प्रावधान - यह योजना गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है। इसमें हर लाभार्थी को 4 प्रतिशत वार्षिक दर से 50 हजार रूपए तक ऋण देने की व्यवस्था है।
हकीकत - कोई लोन नहीं दिया जा रहा है।
8. प्रशिक्षण योजना
प्रावधान - पिछड़ा वर्ग के सदस्यों को तकनीकी और उद्यम दक्षता देने के लिए निगम द्वारा यह योजना चलाई जा रही है। इसमें लोगों को प्रशिक्षण दिया जाने का प्रावधान है, ताकि उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके और स्वरोजगार और पारंपरिक कला-शिल्प को बल मिल सके।
हकीकत - इसका भी कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
- सिद्धार्थ बागड़े

 





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