आचार्य अश्वघोष लिखित बुद्ध चरित के अनुसार TPSG Saturday, April 27, 2019, 10:35 PM आचार्य अश्वघोष लिखित बुद्ध चरित के अनुसार लुंबिनी वन की नयनाभिराम सुंदरता को निरखने में तल्लीन माता महामाया ने ज्यों ही शालवृक्ष की डंगाल को हाथों से पकड़कर नीचे की ओर झुकाया तभी सिद्धार्थ गौतम का जन्म हुआ। सिद्धार्थ गौतम को नीचे गिरकर क्षति न पहुंँचे इसलिए पाँच कमलपुष्प बहुत अलहदा रखे गये। प्रतीक में ये ही "पंचशील" हैं, ये अलौकिक शिल्प पांचवीं -छठी शती का है शायद। ( अब बुद्ध चरित्र के बारे में -- मूलतः बुद्ध चरित् धम्म का आधार नहीं है, यदि ऐसा होता तो वह पहली धम्म संगिती में ही संकलित किया जाता, जबकि चौथी धम्म संगिती में उसकी रचना हुई। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर भी बुद्ध चरित्र के लिए आचार्य अश्वघोष पर अवलंबित होने की साक्ष्य देते हैं। आचार्य अश्वघोष ने बुद्ध चरित् अलौकिक और आलंकारिक भाषा में लिखा है।) महेंद्र शेगांवकर /राजेंद्र गायकवाड़ Tags : different Kamalpuspas Siddhartha Gautam shalavakra Mahatma Mahamaya Lumbini forest beautiful