प्राचीन महाराष्ट्र का ऐतिहासिक स्थल सुप्परका TPSG Tuesday, October 1, 2019, 08:41 PM प्राचीन महाराष्ट्र का ऐतिहासिक स्थल सुप्परका (सोपारा) ईसा पूर्व 500 के आसपास बुद्ध धम्म का प्रवेश महाराष्ट्र में हुआ। गोदावरी नदी के तट पर पैठण के नज़दीक आश्रम बनाकर रहने वाले बावरी के सोलह शिष्यों ने, इसिदिन्ना तथा पूर्णा ने बुद्ध धम्म की दीक्षा प्रत्यक्ष तथागत से ली थी।पूर्णा इसी सुप्परका के निवासी थे। महाराष्ट्र लौट आने के बाद उन्होंने विहार बनवाकर धम्म प्रसार शुरू किया। पूर्णा को इस कार्य में यश प्राप्त हुआ और शीघ्र ही वे अर्हत पद को प्राप्त हुए। लोग अब उन्हें बोधिसत्व कहने लगे। सुप्परका यानि आज का सोपारा, जो चर्च गेट स्टेशन से महज़ 36 मील की दूरी पर है। सुप्परका एक प्रमुख शहर और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति का व्यापारिक बंदरगाह था। टोलोमी ने ई. सन् 150 के आसपास अपने भूगोल विषयक ग्रंथ में लिखा है कि सुप्परका नवासारी और चौल (सिमिल्ला) के बीच स्थित है। वहीं 'पेरिप्लस आॅफ एरिथ्रियन सी 'ग्रंथ के ग्रीक लेखक ने सोपारा, भडूच और कल्याण के मध्य एक व्यापारिक बंदरगाह होने की बात कही है। नेपाल और तिब्बती ग्रंथों की मदद् से बर्नाफ ने अपने ग्रंथ 'इंट्रोडक्शन टू बुद्धिज़्म 'में सोपारा का वर्णन किया है। बर्नाफ के मतानुसार सोपारा एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था। श्रावस्ती से व्यापारी सोपारा आते रहे हैं। चार -पांचसौ देशी -विदेशी व्यापारियों को लेकर सोपारा बंदरगाह से नावें दूरस्थ देशों को जाती रही हैं। सोपारा शहर मौर्यों की प्रांतीय राजधानी था। सम्राट अशोक की धर्माज्ञाओं के चौदह शिलालेखों में से आठवें और नौवें धर्माज्ञा अभिलेखों के भग्न शिलाखंड सोपारा के नज़दीक प्राप्त हुए हैं। इरागुड़ी -आंध्र प्रदेश / गिरनार -सौराष्ट्र /कल्सी -उत्तर प्रदेश /मानसेहरा और शाहबाज़गढ़ी -पाकिस्तान ,इन सभी स्थानों पर सम्राट अशोक की चौदह धर्माज्ञाओं के शिलालेखों का समूह प्राप्त हुआ है। पुराविदों का मत है कि यहां कुछ और भी शिलालेख प्राप्त हो सकते हैं। साभार : Team ABCPR Ancient Buddhist Caves Preservation and Reserch संदर्भ :महाराष्ट्रातील बुद्ध धम्माचा इतिहास ----------- मा.शं. मोरे ------------------- हिंदी अनुवाद -- राजेंद्र गायकवाड़ Tags : Supparaka initiation Godavari river Paithan disciples Maharashtra