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रायनाक महार

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Monday, April 29, 2019, 02:48 PM
Rauk nayak

रायनाक महार
‘‘रायनाक महार’’ छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी ‘‘रायगढ़’’ के किलेदार थे और उन्हीं के वंशज ‘‘सिद्धनाक महार’’ ‘‘बाॅम्बे नेटिव इनफेंट्री’’ में थे। ‘‘सिद्धनाक’’ उसी वडुबुद्रुक गांव के रहने वाले थे। जहाँ छत्रपति संभाजी महाराज’’ को ब्राह्मणों ने औरंगजेब के सैनिकों से पकड़वाया था। औरंगजेब को संभाजी महाराज का कटा सिर भेंट देने के पहले ब्राह्मणों ने उनकी जीभ काटी और आँख निकाल ली थी और धड़ टुकड़ों-टुकड़ों में काटकर चील-कौओं को खाने के लिये छोड़ दिया था। संभाजी महाराज की खता यह थी कि उन्होंने औरंगजेब को कड़ी टक्कर दी थी और छत्रपति शिवाजी महाराज के हत्यारे ब्राह्मणों को हाथी के पैरों से कुचलवा दिया था और उन्हें अब अष्टप्रधान ब्राह्मणों का पक्का इंतजाम भी करना था। ‘‘वडु-बुद्रुक’’ के महारों का कत्लेआम किया। सम्पूर्ण पेशवाराज में उनके साथ अमानुषिक व्यवहार किया गया। सिद्धनाक महार यह सब जानते थे। वे छत्रपति संभाजी महाराज की समाधि पर गए और उन्होंने कसम खायी अगर मौका मिला तो पेशवा को जड़ से उखाड़ देंगे। 01 जनवरी 1818 को मौका मिल गया। 43 किलोमीटर पैदल चलकर भीमा नदी के किनारे कोरेगांव आए भूखे-प्यासे 500 महार सैनिकों ने 28000 पेशवा सैनिकों की धज्जियां उड़ा दी, भीमा नदी की धारा रक्त से लाल हो उठी ब्राह्मणी शैतानी पेशवाराज खत्म हुआ। 18 पगड़ जाति के राजा बहुजन प्रतिपालक छत्रपति शिवाजी महाराज की हत्या का बदला पुरा हुआ। महारों के साथ घोर अमानुषिक व्यवहार का बदला पुरा हुआ। मराठाराज को पेशवाराज में बदलने का बदला पूरा हुआ। 01 जनवरी की सुबह ब्राह्मणों से मुक्ति की उत्साह से भरपूर सुनहरी धूप लेकर आयी। छत्रपति संभाजी महाराज का समाधी स्थल वडुबूद्रुक और वीर सिद्धनाक का विजय स्थल केवल 3 किलोमीटर के अंतराल पर वर्तमान पूना से 25 किलोमीटर दूर है। 01 जनवरी को लाखों जनता वीर सिद्धनाक की तरह संभाजी महाराज की समाधी वडुबूद्रूक से प्रेरणा लेकर विजय स्तंभ भीमा कोरेगांव लगभग 3 किलोमीटर की परिक्रमा करती है और शपथ लेती है कि उपयुक्त मौका मिलते ही ब्राह्मणराज का भारत से पूरी तरह अंत कर देगी।
प्रचंड नाग





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