imagesimagesimagesimages
Home >> इतिहास >> मंगोलिया में प्राप्त प्राचीन बौद्ध पांडुलिपियाँ

मंगोलिया में प्राप्त प्राचीन बौद्ध पांडुलिपियाँ

TPSG

Thursday, July 22, 2021, 11:37 AM
Mongolia

मंगोलिया में प्राप्त प्राचीन बौद्ध पांडुलिपियाँ

प्राचीन समय में मंगोलिया में डांजा रावजा नाम के एक वंदनीय बौद्ध आचार्य हुए हैं। उनके लिखे हुए बौद्ध विचारों और टीकाओं की हस्तलिपियों का मंगोलिया की जनता में भरपूर आदरभाव था। उनके हस्तलिखितों के ग्रंथ गोबी रेगिस्तान के खमारीन बौद्ध विहार में रखे गये थे। उन ग्रंथों का अध्ययन हज़ारों लामा नित्य किया करते थे। अठारहवीं सदी के मध्य, वहाँ की कम्यूनिस्ट राजसत्ता ने मंगोलिया के बौद्ध धम्म को भारी नुकसान पहुँचाया। उन्होंने वहाँ के प्राचीन बौद्ध विहारों को नष्ट किया और लामाओं को भागने के लिए विवश किया । इसी कालक्रम में अत्यंत ज्येष्ठ बौद्ध लामा तुदूव ने डांजा रावजा की हस्तलिपियाँ तथा बुद्ध मूर्ति और अनन्य वस्तुओं का जतन हो सके इसलिए उन्हें लगभग 1500 पिटारियों में व्यवस्थित बाँधकर, गोबी मरूस्थल के आसपास के ठिकानों में सुरक्षित छुपाकर रखा। रोज रात के समय तुदूव गोबी मरूस्थल जाते और इन पिटारों को छुपाते जाते, साथ ही निशानदेही के लिए इसका नक्शा भी बनाते जाते। इन स्थलों के नक्शे की जानकारी सिर्फ लामा तुदूव और उनके विहार के विश्वस्त प्रहरियों तक ही सीमित थीं। मृत्यु के समय लामा तुदूव ने उनके बेटे के सुपुर्द ये नक्शा किया। उन्होंने आगे चलकर ये नक्शा अपने पुत्र को दिया। अनुकूल परिस्थितियों में ही इस नक्शे और इस वैचारिक संपत्ति को जगजाहिर किया जाये, ये वचन लामा तुदूव ने अपने उत्तराधिकारीयों को दिया था, जिसका उन्होंने विश्वासपूर्वक पालन किया। आज ये नक्शा दुनिया के एकमात्र व्यक्ति के पास है और वे हैं लामा तुदूव की उत्तर पीढ़ी के अल्तानगेरेल झुनझोई।

अब तक 64 पिटारे प्राप्त हुए हैं। इनमें अनेक ग्रंथों की पांडुलिपियाँ, बुद्धमूर्ति तथा वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं जिन्हें यहाँ बुद्ध विहार में सुरक्षित रखा गया है। इन सभी वस्तुओं का परीक्षण और संवर्धन करके इन्हें जल्दी ही डांजा रावजा

संग्रहालय में रखा जायेगा। कॅम्ब्रिज विश्वविद्यालय और स्विटजरलैण्ड की आर्थिक सहायता से अब तक 43,350

पृष्ठों का digitalization हो चुका है।

----------------------------------- Atul Bhosekar

9545277410

हिंदी प्रस्तुति : राजेंद्र गायकवाड़





Tags : communist century regularly Buddhist Monastery handwritten people commentaries manuscripts Buddhist master Mongolia