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बुद्धिज्म की कब्र पर फ़ैला ब्राह्मानिज्म

TPSG

Friday, February 11, 2022, 02:35 PM
buddizm

बुद्धिज्म_की_कब्र पर फ़ैला #ब्राह्मानिज्म...

हम सभी को जितनी भी देव-दानव, सूर-असूर,

देवता-राक्षस की लड़ाईयों के किस्से कहानियां सुनाई गई हैं।

ये सभी ब्राह्मणों(#मनुवादियों) एवं बुद्धिष्टों की लड़ाइयां हैं जिसमें बुद्धिष्टों को राक्षस के रूप में पेश किया गया है।

 

1.     बुद्धिष्टों के "#पवित्र_पीपल_वृक्ष" जहाँ बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था,

मनु वादियों द्वारा पीपल के वृक्ष को भूत का अड्डा घोषित करने की कोशिश की गई तो वही मरे हुए व्यक्ति के अवशेषों को एक हांडी में रखकर पीपल के वृक्ष पर टँगवाया गया,

ताकि #बुद्धिष्टों_के_अस्तित्व को #मिटाया_जा_सके।

2.   मनुवादियों ने बुद्धिष्टों के "#पवित्र_मुंडन" को अभिशप्त करने के लिये, ऐसा भ्रम फैलाया कि परिवार के सदस्य के मरने के बाद, #शोक_प्रतीक के रूप में अन्य सदस्यों का मुंडन करवाया जाए।

3.  मनुवादियों ने  बुद्धिष्टों के "#पवित्र_उजला_वस्त्र" को "#शोक_प्रतीक" के रूप में विधवा को पहनवाया।

4.  मनुवादियों ने बुद्धिष्टों के #दार्शनिकों को "गुरु घंटाल" एवं  "ठग" के रूप में पेश किया।

5.    दक्षिण प्लेटो से उत्तर की ओर बहने वाली #फल्गु_नदी पर, जहाँ बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ उस नदी को ही सिर्फ़ अपवित्र नहीं बना दिया गया, बल्कि #दक्षिण_की_सारे_चीज़ों_को_अपवित्र बनाया गया। 

दक्षिण से बहने वाली हवा एवं दक्षिण तरफ़ के दरवाजे को भी अपवित्र बना दिया गया।  यही कारण है कि दबे-कुचले समुदाय को गाँव के दक्षिण में ही बसाया गया। वहीं उत्तर के हिमालय एवं इस तरफ से बहने वाली सारी नदियों को पवित्र बनाया व घोषित किया गया।  गंगा को शिवजी के जटा से  प्रवाहित होना बताया व सिखाया गया एवं गंगा नदी को माँ बना दिया गया, चाहे गंगा जितना भी प्राकृतिक आपदा या कहर क्यों न ढाए।

जबकि दक्षिण की तरफ़ से बहने वाली #सोन से अनेकों नहर, मल्टी डैम प्रोजेक्ट , रिजर्वायर, फॉरेस्ट्री ( वानिकी ) , मछली पालन एवं मकान बनाने के लिये बालू दे !  #फ़िर_भी_वह_अपवित्र !

6.    बुद्ध ही बुत है...बुद्ध ही भूत हैं, इसीलिए कहा जाता है कि पीपल (बोधिवृक्ष) में भूत बसते हैं।  भूत काल, बुत काल अर्थात बुद्ध काल! लोग अक़्सर कहते हैं "भूत-पिशाच" "भूत" के बारे में तो जान गए , 

अब "पिशाच" के बारे में भी जान लीजिए। "#पिशाच"  यानि  '#Genius' विरोधी द्वारा प्रचारित किया गया कि 'भूत -पिशाच निकट नहीं आवै'  मतलब एकदम साफ था कि बुद्ध_जैसे_जिनियस_उनके_पास_न_आएँ। ये बुद्ध के तर्कों से डरते थे, आज़ भी डरते हैं , इसीलिए दूर रहने, दूर रखने की सलाह दी गई , ख़ास कर अपने लोगों को अंदर का डर है उनके भूत-पिशाच से।

7.   "#चुतिया" शब्द भी बौद्ध सभ्यता के विरोध में हुआ है। पीपल वृक्ष को '#चेतिया' भी बोला जाता था। साथ ही ये चैत्य में "मेडिटेशन" करते थे।  चेतिया शब्द से "चुतिया" शब्द बना , जिसका अर्थ बुद्धू या मूर्ख होता है।  इस प्रकार दुष्प्रचार के कारण "बुद्ध" से "बुद्धू" बना , एवं उसी तरह "चेतिया" से "चुतिया" बना।

8.    "#बुद्ध" की ही कॉपी "#शिव" है।  हिंदी और संस्कृत में "अवतार" का अर्थ होता है...कॉपी।  अब समझ जाईये कि भगवान या देवी-देवता के जितने भी अवतार हुए, #वे_सभी_किसी_न_किसी_की_कॉपी_है।

9.   आप यदि ध्यान नहीं दिए हो तो डिक्शनरी खोलकर देखिएगा कि "#सेक्युलर" का वास्तविक अर्थ "#लौकिक" होता है।  जो "#परलोक" में विश्वास करता है वह "सेक्युलर" नहीं हो सकता है।  दुनियाँ के सभी बड़े धर्मों में से सिर्फ़ बौद्ध धम्म की जीवन-दृष्टि ही लौकिक है, सेक्युलर है। बाकी परलोक में विश्वास करते हैं। इसलिए वे सेक्युलर नहीं हो सकते।

10.  आज के मोहन भागवत एवं अन्य जैसे व्यक्ति इस हिंदू धर्म के वैचारिक प्रोड्यूसर हैं। शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म /यानि भाग्यवादी/कर्मकाण्ड , धर्म की रक्षा की...पर किससे ?

         उत्तर स्पष्ट है बुद्ध धम्म से, यानि तार्किक , वैचारिक ,कर्मवादी एवं प्रोग्रेसिव धम्म से। अब सोंचे कि ये हमें बचाया या गर्त्त में धकेला?  मूलनिवासी भरतवंशी के पूर्वज बौद्धिष्ट थे,

ज्ञानी थे, पर इन ब्राह्मणों ने उन्हें  छल से मारा, बंधक बनाया एवं दास बनाया।  सरयु नदी वास्तव में "सरयुक्त नदी" है, जिसे पुष्यमित्र शुंग प्रायोजित फरमान द्वारा सोने के कॉइन्स (स्वर्ण मुद्रा)पाने की लालच ,लालसा व लिप्सा के लिये लाखों मूलनिवासी बुद्धिष्टों के सर कलम कर सरयु नदी में डाले गये। इनके स्कल (खोपड़ी व कंकाल) #हज़ारों_की_संख्या में आज भी मिलते हैं।





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