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कनिष्क राजा का गढ़

TPSG

Tuesday, September 21, 2021, 10:34 AM
Kanishka

कृष्ण वास्तव में बौद्ध पात्र है । कनिष्क राजा और तथागत बुद्ध को सामने रखकर ही ब्राह्मण लोगों ने कृष्ण नाम का काल्पनिक पात्र बनाया हैं । १८६० में मथुरा में जब खुदाई हुईं थी , तब वहा पर अलग - अलग स्थानों पर बुद्ध की करीब ५ ,००० प्रतिमाएँ मिली थी । मथुरा यह कृष्ण का गढ़ नहीं , बल्कि बौद्ध सम्राट कनिष्क राजा का गढ़ था । काल्पनिक कृष्ण के हाथों में जो चक्र दिखाई देता है , वह भी असल में सुदर्शन चक्र नही बल्कि धम्म चक्र ही है , सम्राट कनिष्क ने मथुरा से लेकर अफगानिस्तान तक धम्म चक्र को गतिमान किया था । मथुरा यह नाम भी महाथेरो से पड़ा हुआ हैं , बौद्ध विद्वानों को ही महाथेरो कहते हैं । चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा जो भरहुत स्तुप बनाया था , उस स्तुप पर एक शिल्पांकित चित्र हैं , उस चित्र को ही बाद में कालिया नाग दमन के नाम से कृष्ण कथा के साथ जोड़ दिया गया । सम्राट कनिष्क यह कुषाण वंश के थे , उन्होंने मथुरा की धरती पर बुद्ध का बीज बोया , मथुरा की कण-कण में बुद्ध थे , इसलिए ब्राह्मण इतिहासकारों ने बाद में कुषाण शब्द से ही किसन , किशन , कण , कन्ह , कान्हा , कन्हैया और कृष्ण यह शब्द बना लिए , कृष्ण इस शब्द की आड़ में एक वास्तविक बुद्ध और सम्राट कनिष्क का पात्र छिपा हुआ हैं । पुरानों में कृष्ण और ब्राह्मण इन्द्र की जो लड़ाई हुई थीं , उस लड़ाई में कृष्ण द्वारा इन्द्र के यज्ञ का विरोध करना यह इस बात का सबुत है कि , कृष्ण (कनिष्क) एक अच्छा एवं वास्तविक पात्र था , किंतु बाद में ब्राह्मण लोगों ने उसे काल्पनिक तथा पौराणिक पात्र का रूप देकर उसे बिगाड़ा है".

- निरंजन लांडगे.

(भारत मुक्ति मोर्चा)

जय मूलनिवासी..





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