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जिंदगी का पड़ाव

Nilesh Vaidh
nileshvaidh149@gmail.com
Thursday, April 18, 2019, 11:47 AM
JIngi ka padav

जिंदगी का पड़ाव
जब  तक  चलेगी *जिंदगी* की सांसे,
कहीं  प्यार  कहीं *टकराव* मिलेगा ।
कहीं  बनेंगे  संबंध  *अंतर्मन* से  तो,
कहीं *आत्मीयता* का अभाव मिलेगा 

कहीं  मिलेगी  जिंदगी में *प्रशंसा* तो,
कहीं नाराजगियों का *बहाव* मिलेगा 
कहीं  मिलेगी सच्चे मन से *दुआ* तो,
कहीं  भावनाओं में *दुर्भाव* मिलेगा ।

कहीं बनेंगे पराए *रिश्तें* भी अपने तो
कहीं अपनों से ही *खिंचाव* मिलेगा ।
कहीं  होगी  *खुशामदें* चेहरे  पर तो,
कहीं पीठ पे बुराई का *घाव* मिलेगा।

तू  चलाचल  राही अपने *कर्मपथ* पे,
जैसा तेरा भाव वैसा *प्रभाव* मिलेगा।
रख स्वभाव में शुद्धता का *"स्पर्श"* तू,
अवश्य  जिंदगी का *पड़ाव* मिलेगा
- संग्रहक - निलेश वैद्य





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