भूमंडलीकरण Rajendra Prasad Singh Sunday, May 4, 2025, 02:05 PM तो भूमंडलीकरण पश्चिम से आया, यूरोप से आया, डच ईस्ट इंडिया कंपनी से आया, यहां से आया, वहां से आया आदि आदि. तो फिर प्राचीन काल में कोई साढ़े छः हजार किलोमीटर में फैला सिल्क रोड क्या था, जिससे एशिया, अफ्रीका और यूरोप जुड़ा था. बौद्धों की आवाजाही से सिल्क रोड गुलजार था. यदि भूमंडलीकरण की आंधी पश्चिम से आई तो फिर उत्तरापथ [ जीटी रोड ] क्या था, जिससे चटगांव, दिल्ली और पेशावर से लेकर काबुल तक जुड़ा हुआ था. यदि वैश्वीकरण पश्चिम की देन है तो तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशीला जैसे विश्व ज्ञानकेंद्र क्या था, जहां दुनिया भर के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे. प्राचीन काल में भारत तथागत बुद्ध के बलबूते विश्वगुरु था, जिनकी शिक्षाएं विश्व भर में अनूदित हुईं और जिनकी प्रतिमाएँ विश्व भर में स्थापित हुईं तो क्या यह वैश्वीकरण नहीं है? क्या यह भूमंडलीकरण नहीं है? क्या यह ग्लोबलाइजेशन नहीं है? गुणवर्मन, गुणभद्र, प्रज्ञारुचि, उपशून्य, ज्ञानभद्र, बुद्धभद्र, कमलशील, ज्ञानप्रभ, चित्रगुप्त जैसे हजारों बौद्ध विद्वान यूनान, तुर्की और मध्य एशिया से लेकर समूचे पूर्वी एशिया के देशों में शिक्षा देने के लिए बुलाए गए. क्या यह ग्लोबलाइजेशन नहीं है? मुक्त व्यापार, बहुराष्ट्रीय कंपनियां, विदेशी पूंजी निवेश आदि पर आधारित सिर्फ आर्थिक ग्लोबलाइजेशन ही भूमंडलीकरण है या यह अधूरा है? जापान ने काताकाना और हिराकाना अक्षरमालाएँ बनाई हैं. बर्मा, स्याम, जावा, कंबोडिया, श्रीलंका आदि देशों में भारतीय लिपि का ग्लोबलाइजेशन हुआ. नेपाल, तिब्बत, म्यांमार आदि पड़ोसी देशों में अनेक पांडुलिपियाँ संरक्षित कर गुरु वाणी का ग्लोबलाइजेशन हुआ. दुनिया के अनेक देशों ने विपस्सना सीखी. विपस्सना का ग्लोबलाइजेशन हुआ. अपने आरंभिक चरणों में बौद्धों का भूमंडलीकरण में बहुत बड़ा योगदान है. बौद्ध भारत! श्रेष्ठ भारत!! Tags : movement of Buddhists Europe Africa Asia Silk Road