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विचार फरवरी 2025

Rajendra Prasad Singh

Sunday, February 9, 2025, 12:52 PM
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कबीर खुद बड़े संत थे, कबीर ने रैदास को संतो का संत कहा है, विचार कीजिए कि रैदास कितने बड़े संत रहे होंगे! नमन संतो के संत को!!! - डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सिंह

केजरीवाल EVM से ही हारा है...मगर मजाल है कि EVM पर कोई टिप्पणी कर दे। क्योंकि बंदा दो बार EVM के द्वारा ही जिताया गया - अजय नारनवरे

R.S.S का फंड मंदिरों से आता है जिसको आप भगवान के नाम पर देते हैं अपनी बर्बादी रोकने के लिए मंदिर में दान करना बंद  - अजय नारनवरे

 पहले ये यूरेशियन थे, फिर आर्य बने, फिर वैदिक बने, फिर ब्राहमण बने, फिर हिन्दू बने, फिर ये सनातनी बन गये बहुत बढ़िया है, आगे समय के साथ ये और क्या क्या बनेगंे। - सिद्धार्थ बागड़े

ओडिशा के रत्नागिरी की खुदाई में 5 फीट लंबी तथागत बुद्ध की हथेली मिली है तो सहज अनुमान किया जा सकता है कि मूर्ति का हाथ लगभग 20 फीट होगा और मूर्ति 40 - 45 फीट की होगी. इतनी बड़ी मूर्ति का ध्वस्त होकर गायब हो जाना आश्चर्यजनक और लज्जाजनक बात है.- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सिंह

अगर कुंभ मेले में मरने वालों को देख कर भी नहीं समझे, कि भगवान नहीं है, तो आपसे बड़ा मूर्ख और कोई भी नहीं । - अजय नारनवरे

मौतें चाहे मक्का मदीना में हो,केदारनाथ में हो,हाथरस में हो या फिर प्रयागराज में कोई शक्ति बचाने नही आई, इसलिए शिक्षित बनो और पाखंडवाद से दूर रहो - सिद्धार्थ बागड़े

अमेरिका में पाखंड, जातीभेद तथा गुंडागर्दी करनेवाले लोगों को बाहर भेजा जा रहा है, यह अच्छी बात है| विज्ञानवादी देशों में पाखंड तथा धर्मांधता को कोई स्थान नहीं है|  - प्रताप चाटसे

सिंधु प्रदेश को 3000 BC में ओक्कस प्रदेश, सिंधु नदी को ओक्सस नदी, बैल को ओक्कू (ox) और बुद्ध के पुरखों को इक्ष्वाकु (ओक्कस निवासी) कहा जाता था| बहुत जल्द हम ओरिजिनल इंडस स्क्रिप्ट और इंडस हिस्ट्री डिकोड करनेवाले हैं| -डॉ. प्रताप चाटसे

मकर संक्रांति वास्तव में बौद्धों का "माघी पर्व" है जिसे आज भी मेघालय, सिक्किम, लडाख के बौद्ध लोग सदियों से मनाते आ रहें हैं| माघी या माघीर संक्रांति मतलब मकर संक्रांति है| -डॉ. प्रताप चाटसे





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