देवदासी प्रथा का बौद्ध धर्म के पतन के बाद निर्माण Pratap Chatse Wednesday, February 2, 2022, 01:07 PM देवदासी प्रथा का बौद्ध धर्म के पतन के बाद निर्माण हुआ है| बौद्ध धर्म के पतन के बाद बौद्ध विहारों को मंदिरों में परिवर्तित किया गया और बौद्ध भिक्खुणीयों को देवदासी में तब्दील किया गया| सम्राट अशोक ने अपने पहले पुत्र महेंद्र और पहली पुत्री संघमित्रा को धम्मकार्य के लिए संघ को दान दिया था| तबसे पहला लडका और पहली लड़की धम्म को दान देने की प्रथा शुरू हुई थी| सम्राट अशोक एक आदर्श धम्मराजा होने के कारण उन्होंने शुरू की हुई यह परंपरा लोगों ने जारी रखी और उनकी याद में लोग अपने बडे़ बेटा बेटी को विहार में धम्मकार्य के लिए दान करने लगे थे| सम्राट अशोक का साम्राज्य संपुर्ण भारत में फैला था, इसलिए बच्चों को दान देने की परंपरा भी हमें देशभर दिखाई देती है| महाराष्ट्र में इन बच्चों को वाघ्या मुरली कहा जाता था| इसी तरह, कर्नाटक में भिक्खुणीयों को अर्थात देवदासियों को बसवी कहा जाता था, आंध्र प्रदेश में उन्हें जोगन/जोगिन कहा जाता था, केरल में महारीन, आसाम में नटी, गोवा में भवानी, कोंकण में कुडीकर, तमिलनाडु में थेवरदियार कहा जाता था| भारत के सभी देवी मंदिर वास्तव में प्राचीन बौद्ध विहार है और वहाँ की देवदासीयां वास्तव में बौद्ध भिक्खुणीयां हैं| इस तरह देवदासी प्रथा बौद्ध धर्म के किए गए पतन का जिता जागता नमूना है| -- डा. प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क Tags : Emperor Ashoka donated his first son Mahendra and first daughter Sanghamitra Buddhist viharas were converted After the decline of Buddhism