जेष्ठ पुर्णिमा अर्थात बौद्ध वटपुर्णिमा Pratap Chatse Friday, June 20, 2025, 04:52 PM जेष्ठ पुर्णिमा अर्थात बौद्ध वटपुर्णिमा की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ| अच्छा पारिवारिक जीवन शुरू होने के बाद सुजाता ने अपनी सहेलियों के साथ अजपाल वटवृक्ष के नीचे बैठे बुद्ध की पुजा जेष्ठ पुर्णिमा के दिन की थी, इसलिए जेष्ठ पुर्णिमा को वटपूजा की पुर्णिमा या वटपुर्णिमा कहते हैं| पिपल ज्ञान का वृक्ष (बोधिवृक्ष या Tree of Knowledge) कहा जाता है क्योंकि बुद्ध को पिपल के नीचे बैठकर ज्ञान प्राप्त हुआ था| वट वृक्ष को बौद्ध परंपरा में जीवन वृक्ष (Tree of Life) क्योंकि आत्यंतिक उपवास से कमजोर हुए बुद्ध को सुजाता ने इसी वृक्ष के नीचे खिर दान की थी, जिसे ग्रहण करने के बाद बुद्ध को नया जीवन मिला था| अर्थात, प्राचीन बौद्ध परंपरा में पिपल वृक्ष को ज्ञान का वृक्ष (बोधिवृक्ष) और वटवृक्ष को जीवन का वृक्ष के रूप में बौद लोग पूछते थे| सुजाता और उसके सहेलियों की परंपरा के रूप में आज भी बहुजन महिलाएँ वटवृक्ष की पूजा जेष्ठ पुर्णिमा के दिन करतीं हैं| लेकिन इस प्राचीन बौद्ध परंपरा का ब्राम्हणीकरण करने के लिए ब्राम्हणों ने वटसावित्री की काल्पनिक कथा ब्रिटिशकाल में लिखीं और उसका समाज में बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार किया, जिससे लोग वटवृक्ष से संबंधित सुजाता की परंपरा भुल गये और ब्राम्हणवादी होकर वटवृक्ष की पुजा करने लगे। वटपुजा वास्तव में बुद्ध पुजा है और वह जेष्ठ पुर्णिमा से संबंधित है, इस बात का एहसास हमें भारत के लोगो में करना होगा। जेष्ठपुर्णिमा और वटवृक्ष की सभी को धम्ममय शुभकामनाएं। -डॉ. प्रताप चाटसे, सनातन धम्म अभ्यासक Tags : Buddhist tradition Banyan tree Buddha attained enlightenment Bodhivriksha tree of knowledge