खत्तिय शब्द की जानकारी Rajendra Prasad Singh Thursday, October 14, 2021, 07:39 AM इतिहासकार रामशरण शर्मा ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक " प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएँ " ( पृ. 81 ) में लिखा है कि खत्तिय उपाधि का मतलब खेतों का मालिक है.....आगे लिखा है कि दूसरों के खेतों के रक्षक भी.... महापरिनिब्बान सुत्त में लिखा है कि मोरियों ने कहा कि गोतम बुध खत्तिय थे और हम भी खत्तिय हैं......मतलब मोरिय खत्तिय थे.... सुद्धोदन खत्तिय ने कोलिय राजा को संवाद भेजा कि हम भी खत्तिय हैं और आप भी खत्तिय हैं ( रांगेय राघव, यशोधरा जीत गई, पृ. 18) ....मतलब कोलिय भी खत्तिय थे.... तो क्या शाक्य गण, कोलिय गण, मोरिय गण--- सभी राजपूत थे?.....नहीं। मेगस्थनीज राजपूत जाति को नहीं जानता था, फाहियान और ह्वेनसांग भी राजपूत जाति से वाकिफ नहीं थे..... ग्यारहवीं सदी में भारत आए अलबेरुनी को भी नहीं पता था कि राजपूत जैसी कोई जाति है.... बारहवीं सदी के कल्हण को भी राजपूत जाति का पता नहीं था.... पंद्रहवीं सदी के महाराणा कुंभा के काल तक राजपूत जाति का कहीं उल्लेख नहीं है.... इसीलिए मैंने कहा कि खत्तिय को ही क्षत्रिय बताया गया है..... शाक्य गण के बुद्ध को तो इसी खत्तिय के आधार पर इतिहासकार क्षत्रिय बता देते हैं.... मगर उसी खत्तिय गण के कोलिय और मोरिय को क्षत्रिय बताने से वे भागने लगते हैं....... Tags : Khattiya Institutions written Historian