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पस्सी अर्थात देखने वाला

Rajendra Prasad Singh

Sunday, April 28, 2019, 08:20 AM
Observer

प्राकृत में पस्स अर्थात देखना। पस्सी अर्थात देखने वाला। विपस्स अर्थात विशेष रूप से देखना। विपस्सी अर्थात विशेष रूप से देखने वाला।

अंग्रेजी में भी ऐसा है। spect अर्थात देखना। re - spect अर्थात दुबारा देखना। दुबारा हम उसी को देखते हैं, जिसके प्रति आदर हो। इसीलिए re - spect आदर का भाव देता है। spectacle, spectacles, spectator आदि सभी spect अर्थात देखने से संबंधित हैं।

एक विपस्सी बुद्ध थे। वे अंदर और बाहर की दुनिया को विशेष रूप से देखते थे। इसीलिए उनका नाम विपस्सी बुद्ध पड़ा। उन्हीं के नाम पर बौद्ध सभ्यता में विपस्सना का प्रचलन हुआ।

फाहियान जब भारत आए थे, तब विपस्सी बुद्ध को गुजरे हुए कोई 1300 साल बीत चुके थे। इसीलिए वे विपस्सी बुद्ध का स्मारक नहीं देख पाए। वह काल - कवलित हो चुका था। फाहियान ने गोतम बुद्ध से ठीक पहले के सिर्फ तीन बुद्धों के स्मारक देखे थे, वे बुद्ध हैं - ककुसंध, कोणागमन और कस्सप।

विपस्सी बुद्ध का पुरातत्व में हमें लिखित सबूत पहली बार भरहुत स्तूप पर मिलता है, जिस पर लिखा है - भगवतो विपस्सिनो बोधि। आप इसे प्रथम चित्र में देख सकते हैं।

विपस्सी बुद्ध का दूसरा सबूत हमें साँची स्तूप पर मिलता है। साँची स्तूप पर सप्तबुद्ध का प्रतीकात्मक अंकन है। सबसे बाएँ विपस्सी बुद्ध हैं और सबसे दाएँ गोतम बुद्ध हैं। आप इसे चित्र दो में देख सकते हैं।

विपस्सी बुद्ध का तीसरा सबूत हमें अजंता की गुफा सं. 17 में मिलता है। इसमें विपस्सी बुद्ध की तस्वीर अंकित है। विपस्सी बुद्ध के बाल ललाट पर लटके मिलते हैं। आप इसे चित्र तीन में देख सकते हैं।

सप्त बुद्धों की परंपरा विपस्सी बुद्ध से आरंभ होती है और गोतम बुद्ध तक चलती है। इसलिए जहाँ - जहाँ सप्तबुद्ध का अंकन है, वहाँ - वहाँ विपस्सी बुद्ध भी मौजूद हैं। अंतिम चित्र कंबोडिया से प्राप्त सप्तबुद्ध की है।

(रुम्मिनदेई का स्तंभलेख। लाल घेरे में लिखा है - बुध। बुद्ध के बाद लिखा है शाक्यमुनी)

राजेन्द्र प्रसाद सिंह





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